उत्तर प्रदेश

जिला प्रशासन के नोटिस का जवाब देने में एसडी एसोसिएशन के पास कुछ ही घंटे का समय शेष

Shantanu Roy
11 Jan 2023 12:12 PM GMT
जिला प्रशासन के नोटिस का जवाब देने में एसडी एसोसिएशन के पास कुछ ही घंटे का समय शेष
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मुजफ्फरनगर। अरबों रुपयों की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने के आरोप में 190 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस झेल रही दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पास जिला प्रशासन से मिली दस दिन की मोहलत को खत्म होने में अब मात्र चंद घंटों का ही समय शेष रह गया है, लेकिन व्यापारियों के बीच पहुंचकर भूमि पर मालिकाना हक होने का दावा करने वाले एसोसिएशन से जुड़े लोग कोई भी साक्ष्य जिला प्रशासन को नोटिस के जवाब के रूप में उपलब्ध नहीं करा पाये हैं। मामले में 12 जनवरी तक जिला प्रशासन भी वेट एण्ड वॉच की स्थिति में रहते हुए अगली बड़ी कार्यवाही की तैयारी में जुटा हुआ है। इस मामले को ठण्डे बस्ते में मानकर चल रहे लोगों को अगले एक दो दिनों में नया धमाके देखने को मिल सकता है। इस प्रकरण में जिला प्रशासन ने एसडी कॉलेज मार्किट वाली शासकीय भूमि को वापस करने के लिए कमर कसने के साथ ही इस भूमि पर अवैध करते हुए अवैध रूप से आर्थिक लाभ अर्जित करने के मामले को एक दण्डनीय अपराध मानते हुए एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की पूरी रणनीति तैयार कर ली है। इसके लिए विधिक राय भी ली जा रही है।
बता दें कि नगरपालिका परिषद् के अधीन नजूल की 0.5730 हेक्टेयर शासकीय भूमि पर न्यू एसडी कॉलेज मार्किट सहित दूसरी अन्य बहुमंजिला मार्किट खड़ी कर दिये जाने के प्रकरण में जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह के निर्देश पर जांच के बाद हुए सनसनीखेज खुलासे में कुछ दिन के ठहराव के बाद अब फिर से नई हलचल नजर आ सकती है। इस मामले में दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और सह सचिव को पदनाम से नगर पालिका परिषद के ईओ हेमराज सिंह द्वारा दिये गये करीब 190 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति के नोटिस को लेकर दिया गया समय अब समाप्त हो रहा है। इसमें कुछ समय ही एसोसिएशन के पदाधिकारियों के पास शेष रह चुका है। दरअसल, इस प्रकरण में जिलाधिकारी के आदेश पर तहसीलदार सदर अभिषेक शाही ने जांच कर 26 नवम्बर को अपनी आख्या दी थी, इसके साथ ही डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय अन्य जांच कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट 29 नवम्बर को प्रस्तुत की। दोनों ही जांच में यह साबित हुआ था कि पालिका से साल 1952 में लीज पर शैक्षिक कार्यों के उपयोग के लिए ली गई उक्त शासकीय भूमि की लीज 30 साल के लिए एसोसिएशन को दी गयी थी। 1982 में यह लीज पूरी होने के उपरांत भी एसोसिएशन ने अपना अवैध कब्जा इस पर कायम रखा और इस भूमि का उपयोग शर्तों के विपरीत व्यावसायिक गतिविधियों को विकसित करते हुए बहुमंजिला मार्किट बनाकर अवैध रूप से धन अर्जित किया है।
इसी को लेकर डीएम के निर्देश पर अपनी शासकीय भूमि को वापस पाने और इस भूमि की लीज का किराया जमा नहीं करने तथा अन्य मामलों में करीब 190 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति तय करते हुए ईओ हेमराज सिंह 27 दिसम्बर को दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन को नोटिस दिया था। इसमें सात दिनों में पैसा जमा कराने और अवैध कब्जा हटवाने को कहा गया था, लेकिन 01 जनवरी को ईओ हेमराज सिंह ने एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और सहसचिव के पदनाम से नया नोटिस जारी किया था। इसमें एसोसिएशन के द्वारा एक जनवरी को ही दिये गये जवाब का हवाला देते हुए पालिका ईओ ने बताया था कि एसोसिएशन ने जवाब के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। इस पर ईओ के द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय देते हुए 12 जनवरी को उनके कार्यालय में जवाब दाखिल करने की मोहलत प्रदान की थी। अब इस जवाब के लिए तय समय सीमा के समाप्त होने में चंद घंटे ही शेष हैं, लेकिन अभी तक एसोसिएशन की ओर से कोई भी जवाब साक्ष्य या अन्य दस्तावेज ईओ या प्रशासन को नहीं दिये गये हैं। सूत्रों का कहना है कि एसोसिएशन के पास भूमि को लेकर कोई भी जवाब या साक्ष्य उपलब्ध ही नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि 12 जनवरी के बाद जिला प्रशासन इस हाईप्रोफाइल मामले में अगली गंभीर कार्यवाही कर सकता है। पहला मामला तो 190 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति वसूलने का ही है। इसमें एक जनवरी को ईओ द्वारा जारी दूसरे नोटिस में एसोसिएशन के पदाधिकारियों के लिए कहा गया था कि दो जांच रिपोर्ट में उनको शासकीय भूमि पर अवैध कब्जाधारी माना गया है। इसके खिलाफ वो अभी तक भी साक्ष्य नहीं दे पाये हैं।
सूत्रों के अनुसार इस प्रकरण में जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने जांच टीम में शामिल अधिकारियों से मंथन किया और गंभीर कार्यवाही करने के लिए कहा है। अब जिला प्रशासन इस प्रकरण को लेकर विधिक राय भी लेने में जुटा हुआ है। दि सनातन | धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ प्रशासन क्रिमीनल आफैंस के आधार पर कानूनी कार्यवाही करने की रणनीति बना रहा है। सूत्रों का दावा है कि इसमें शासकीय भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने, इस भूमि पर कब्जा करते हुए अवैध तरीके से धान अर्जित करना और उसको गलत तरीके से अपने निजी उपयोग के लिए ट्रांसफर करना, जैसे आरोपों को लेकर अधिवक्ताओं के पैनल से विधिक राय ली जा रही है।
प्रशासन की कार्यवाही के बाद व्यापारियों के बीच आकर भूमि के मालिकाना हक का दावा जताते हुए सारे सबूत और दस्तावेज होने का दावा करने वाले दिन सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन से जुड़े लोगों के द्वारा भी इस मामले में कुछ नहीं कहा जा रहा है। व्यापारियों के धरने के बीच पहुंचने वाले एसोसिएशन का काम देख रहे अनिल सिंह भी कुछ बताने को तैयार नहीं है। एसोसिएशन व्यापारियों से हाईकोर्ट में प्रशासन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का दावा करते हुए रिट पिटीशन दायर कर चुकी थी, लेकिन डीएम चंद्रभूषण सिंह की मजबूत कानूनी तैयारी के कारण उनको कदम पीछे हटाने पड़े। बताया जा रहा है कि एसडी एसोसिएशन ने अपनी रिट पिटीशन वापस ले ली हैं। वहीं सिविल कोर्ट में भी जाकर राहत पाने का कदम उठाया गया था, लेकिन वहां से भी उनको मायूस होना पड़ा। कुल मिलाकर एसोसिएशन के पास कानूनी रूप से राहत पाने का रास्ता भी शासन प्रशासन की तैयारी ने बंद करा दिया है। रिट पिटीशन में एसोसिएशन ने यही अपील की थी उनको सुनवाई का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया और समय भी नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि डीएम के निर्देश पर ईओ ने एसोसिएशन को अचानक ही दस दिन का अतिरिक्त समय देकर 12 जनवरी तक साक्ष्य मांगेंगे और नोटिस को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करा दिया था। अब प्रशासन भू राजस्व की भांति ही 190 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति वसूलने की तैयारी भी कर रहा है। जिला प्रशासन ने इस मामले में दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अपनी रणनीति पर मंथन करते हुए मजबूत तैयारी की हैं। इसके लिए ही अधिवक्ताओं को लगाया गया है, ताकि बचने का रास्ता न मिल सके। एसडी कॉलेज मार्किट के साथ ही एसडी एसोसिएशन से जुड़ी शिक्षण संस्थाओं के खिलाफ लगातार शिकायत करते हुए कार्यवाही की मांग कर रहे श्रीकांत त्यागी ने दावा किया है कि दि सनातन धर्म कॉलेज एसोसिएशन के पास शासकीय भूमि के अवैध कब्जे और इनके अवैध उपयोग के आरोपों को लेकर कोई भी वाजिब जवाब नहीं है, यदि उनके द्वारा लगाये गये आरोपों को एसडी कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिव व अन्य पदाधिकारी मेरी एक भी शिकायत को गलत ठहरा दें तो चौराहे पर फांसी खाने को तैयार हूँ। उन्होंने कहा कि यह 5000 करोड़ की शासकीय संपत्ति पर अवैध कब्जे का मामला है। उनकी शिकायत के बाद 32 जांच आख्या तहसीलदार से लेकर प्रमुख सचिव तक उनके पास हैं। इनमें एसोसिएशन के खिलाफ पूरे साक्ष्य साबित हुए हैं, जिनमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि एसडी कॉलेज एसोसिएशन ने अधिग्रहित शासकीय भूमि का व्यक्तिगत शिक्षण संस्थान बनाकर दुरुपयोग किया है और उससे अवैध रूप से धन अर्जन किया जा रहा है। उनका आरोप है कि यह पूर्णता शासकीय भूमि पर निजी शिक्षण संस्थाओं के अवैध संचालन का मामला है। 12 अप्रैल 2010 में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनिल संत ने विभिन्न जांचोपरांत उनकी शिकायत पर एसडी कॉलेज एसोसिएशन को भूमि में री- एंटी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। श्रीकांत त्यागी ने विश्वास जताया कि जिस प्रकार पूर्व में तत्कालीन डीएम प्रभात कुमार यहां पर एक नजीर बनाकर गये, उसी प्रकार जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह भी इस मामले में बड़ी कार्यवाही करने के साथ ही सरकारी भूमि की रि एंट्री कराकर ही जायेंगे। उन्होंने जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह से यह भी आशा की है कि वो एसडी इंटर व एसडी डिग्री कॉलेज की सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटवाने और सरकारी भूमि शासन को और नगरपलिका को वापस दिलवाने में सफल होंगे।
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