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उत्तर प्रदेश
मुज़फ्फरनगर में सरकारी भूमि पर बनी है एसडी व झांसी रानी मार्किट, जांच में खुलासा
Shantanu Roy
29 Dec 2022 11:48 AM GMT
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बड़ी खबर
मुजफ्फरनगर। एसडी कालेज मार्किट व झांसीरानी मार्किट को लेकर हुई जांच में सरकारी जमीन पर मार्किट बने होने का खुलासा होने के बाद दोनों मार्किटों के दुकानदारों के नगर पालिका के सिकमी किरायेदार बनने का खतरा पैदा हो गया है। इस मामले में जिलाधिकारी ने एसडी कालेज मार्किट एसोसिएशन को नोटिस देकर एक सप्ताह में जवाब मांगा है और यदि एसोसिएशन कागज नहीं दिखा पाई, तो स्वत: ही पूरी मार्किट नगर पालिका के अधीन चली जायेगी। 40 साल पहले लीज का पट्टा समाप्त होने के बावजूद मार्किट का संचालन होने पर नगर पालिका ने एक अरब 89 करोड रूपये की वसूली का नोटिस भी एसडी मार्किट एसोसिएशन को दिया है। उल्लेखनीय है कि शहर के बीचोंबीच शिव चौक के निकट बनाई गई एसडी कालेज मार्केट और झांसी की रानी मार्केट सरकारी भूमि पर बनी हुई पाई गई है। इस भूमि की लीज भी 40 साल पहले समाप्त हो चुकी है। नगरपालिका ईओ, तहसीलदार सदर और डीआईओएस से कराई गई जांच के बाद जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने एसडी कॉलेज एसोसिएशन को नोटिस जारी किया है। जवाब नहीं देने पर संपत्ति एक सप्ताह में नगरपालिका में स्वत: निहित हो जाएगी। बताया जा रहा है कि जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह को बीजेपी नेता श्रीकांत त्यागी से शिकायत मिली थी, कि एसडी कॉलेज की सरकारी जमीन पर बिल्डिंग तोड़कर एसडी कालेज मार्केट बनाई गई है। इसके अलावा नगरपालिका से कॉलेज के खेल के मैदान के लिए तीस साल की लीज पर ली गई जमीन पर झांसी की रानी मार्केट बना दी गई। लीज का समय 1982 में पूरा हो चुका है। दोनों ही जमीनों के आवंटन में ये शर्त है कि इनका इस्तेमाल केवल शिक्षा के लिए होगा, व्यवसायिक प्रयोग नहीं हो सकता। सरकार की इन जमीनों पर एसडी कॉलेज एसोसिएशन ने लगभग 2500 दुकानें बना ली है। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने नगरपालिका के ईओ, तहसीलदार सदर और डीआईओएस से इस संबंध में जांच रिपोर्ट मांगी थी। तहसीलदार सदर ने रिपोर्ट दी है कि एसडी कॉलेज को 0.440 हेक्टेयर जमीन शैक्षणिक कार्यों के लिए दी गई थी।
जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं करने की शर्त लगाई गई थी। डीआईओएस ने रिपोर्ट दी है कि एसडी कालेज एसोसिएशन ने कॉलेज की बिल्डिंग तोडऩे से पहले कोई अनुमति नहीं ली है, जमीन केवल शिक्षा के प्रयोग के लिए है। ईओ नगरपालिका हेमराज सिंह ने रिपोर्ट दी है कि 12 मई 1952 को नगरपालिका ने कॉलेज को खेल के मैदान के लिए 30 साल की लीज पर आठ हजार वार्षिक दर से जमीन दी थी। जमीन का किराया कभी जमा नहीं किया गया। 1982 में लीज खत्म हो गई। शर्तों में साफ है कि जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं हो सकता। तमाम बिंदुओं को रखते हुए ईओ नगरपालिका की ओर से एसोसिएशन को नोटिस जारी किया गया है। सात दिन में एसोसिएशन अपने पक्ष में कोई साक्ष्य नहीं दे पाती है, तो समस्त संपत्ति नगरपालिका में निहित मानी जाएगी। एसडी कालेज मार्केट और झांसी रानी मार्केट के दुकानदार नगर पालिका में किराया जमा करेंगे। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी हेमराज सिंह की ओर से एसडी कालेज मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव को नोटिस भेजकर एक सप्ताह के अंदर 40 साल से भूमि का प्रयोग करने की एवज में एक अरब 89 करोड रूपये का नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अंदर नोटिस का जवाब मांगा गया है और रकम भी जमा करने के लिये कहा गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो एसडी मार्किट व झांसी रानी मार्किट की सभी दुकानें नगर पालिका के अधीन हो जायेंगी और फिर नगर पालिका ही उक्त दुकानों का किराया वसूलेगी। एसडी कालेज मार्किट एसोसिएशन के पदाधिकारी राकेश कंसल ने बताया कि इस सम्बंध में मार्किट के सभी दुकानदारों की बैठक हुई है, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया गया है, इस मामले में दुकानदारों का कहना है कि उनका कोई दोष नहीं है, जो भी गडबड की है, वह एसोसिएशन ने की है। दुकानदारों को इस बात का डर सता रहा है कि यदि मार्किट नगर पालिका के अधीन हो गयी, तो वह सिकमी किरायेदार बनकर रह जायेंगे और उन्हें भी उन्हीं समस्याओं का सामना करना पडेगा, जो अन्य सिकमी किरायेदारों को करना पड रहा है। बोर्ड बैठक में सिकमी किरायेदारों का मामला उठने के बावजूद भी अभी तक सिकमी किरायेदारों की समस्या का समाधान नहीं हो सका है।
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