उत्तर प्रदेश

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का दावा, शैवाल से तैयार आयुर्वेदिक लोशन रोकेगा स्किन कैंसर

Renuka Sahu
18 Aug 2022 2:24 AM GMT
Scientists of Allahabad University claim Ayurvedic lotion prepared from algae will prevent skin cancer
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फाइल फोटो 

जलाशयों में पाया जाने वाला शैवाल वैसे तो अनुपयोगी माना जाता है लेकिन नित नए शोध से यह बहुपयोगी साबित हो रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जलाशयों में पाया जाने वाला शैवाल (काई) वैसे तो अनुपयोगी माना जाता है लेकिन नित नए शोध से यह बहुपयोगी साबित हो रहा है। यूं तो शैवाल की कई प्रजातियां हैं लेकिन उनमें से कुछ हमारे लिए वरदान से कम नहीं। स्किन कैंसर के इलाज में हरा शैवाल (हरी काई) कारगर साबित होगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हरे काई (शैवाल) से एक आयुर्वेदिक लोशन तैयार किया है। चूहों पर इस लोशन का परीक्षण सफल रहा है। यह शोध अमेरिका के तीन बायोटेक जर्नल व फिजियोलॉजी एवं मॉलिक्युलर बायोलॉजी ऑफ़ प्लांट्स में प्रकाशित हो चुका है।

एनजीबीयू के वनस्पति विभाग के डॉ. आदिनाथ ने बताया कि उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ओर से 26 लाख रुपये की ग्रांट इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए मिली थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रो. शांति सुंदरम के साथ मिलकर उन्होंने झूंसी के छतनाग स्थित नागेश्वर घाट से हरी काई एकत्र कर शोध आरंभ किया। वहां मिलने वाली हरी काई से एक आयुर्वेदिक लोशन तैयार किया गया। दावा है कि यह लोशन स्किन कैंसर के उपचार में असरदार साबित हो सकता है।
बकौल डॉ. आदिनाथ शोध के दौरान नागेश्वर घाट पर उन्हें साइनोबैक्टीरिया (हरी काई) की तमाम प्रजातियां मिलीं। जो शैवाल मिले, पहले उसे शुद्ध कर 12 हिस्सों में अलग-अलग किया गया। इसके बाद उसे उगाया गया। फिर उसकी वृद्धि का मापन किया गया कि किस तरह यह शैवाल कोशकीय वृद्धि कर रहे हैं। शैवाल के जैवभार को एथेनॉल और क्लोरोफार्म तथा मेथनाल जैसे घुलनशील पदार्थ में डालकर अल्ट्रा सेंट्रीफ्यूज से अलग किया गया। इस दौरान पाया गया कि यह पदार्थ जीवाणुओं पर यूवी किरणों से होने वाले जीन क्षय को रोकने में कारगर साबित हो रहा है। इस प्रक्रिया के बाद तैयार किए गए लोशन का चूहों पर परीक्षण सफल रहा। मानवीय परीक्षण के लिए अनुमति मांगी गई है। साथ ही पेटेंट के लिए भारत सरकार को आवेदन कर दिया गया है। पेटेंट के बाद लोशन बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा।
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