उत्तर प्रदेश

सक्षम भारत के लिए विज्ञान शिक्षा, कृषि व स्वास्थ्य जरूरी: वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद

Admin Delhi 1
7 Dec 2022 9:18 AM GMT
सक्षम भारत के लिए विज्ञान शिक्षा, कृषि व स्वास्थ्य जरूरी: वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद
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इलाहाबाद: राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी भारत (नासी) में 92वें वार्षिक अधिवेशन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ. मुख्य अतिथि भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम भारत के लिए विज्ञान शिक्षा, कृषि एवं मानव जीवन का उत्तम स्वास्थ्य जरूरी है. विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एकजुट करके इस काम को सहज बनाया जा सकता है.

डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की पूर्व सचिव प्रो. मंजू शर्मा ने कहा कि विज्ञान के बिना आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना अकल्पनीय है. अगर हमें अपने देश को उन्नति के शिखर पर ले जाना है तो विज्ञान के शोध की दिशा में बढ़ावा देना ही होगा. नासी के अध्यक्ष प्रो. अजय घटक ने बताया कि हमें विज्ञान शिक्षा के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए प्रेरित करना चाहिए.

शुरुआत में प्रो. अजय कुमार सूद, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेस बंगलुरु के पूर्व निदेशक प्रो. गोविंदराजन पद्मनाभन, प्रो. अजय घटक, आईआईटी मुंबई के प्रो. जयेश आर. बेलारे, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अखिलेश के. त्यागी आदि ने उद्घाटन किया. अतिथियों का स्वागत बीएचयू विज्ञान संकाय की डीन प्रो. मधुलिका अग्रवाल व अभिनंदन कार्यकारी सचिव डॉ. नीरज कुमार ने किया. आज़ादी के अमृत महोत्सव को समर्पित तीन दिनी सम्मेलन में आमंत्रित वैज्ञानिकों ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी ए व्हेकिल फॉर सोशल ट्रांसफॉर्मेशन पर आधारित खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, उद्यमिता एवं रोजगार विषयों पर शोध पत्र पढ़े. दूसरे सत्र में खाद्य सुरक्षा एवं स्वास्थ देखभाल पर प्रो. अशोक कुमार सिंह एवं प्रो. अश्विनी पारीक ने व्याखान दिया. आईसीएमआर के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव की अध्यक्षता में प्रो. अमित घोष ने व्याखान दिया.

कंप्यूटर-लैपटॉप के अत्यधिक उपयोग से बचें: नासी के 92वें वार्षिक सम्मेलन में आए भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलुरु के पूर्व निदेशक पद्मभूषण गोविंदराजन पद्यनाभन ने कहा है कि सच्चे अर्थों में विज्ञान एवं तकनीकी के जरिए सामाजिक क्रांति तभी लाई जा सकती है, जब इसको प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि के क्षेत्र में विज्ञान का समुचित एवं सही उपयोग किया जाए. शिक्षकों को विज्ञान शिक्षण में पारंगत बनाने के लिए प्रयोगशाला का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करके अच्छे प्रयोगों के लिए प्राइमरी से लेकर परास्नातक तक की कक्षाओं में कराने के लिए प्रेरित करना चाहिए. कंप्यूटर और लैपटॉप के अत्यधिक प्रयोग से बचना चाहिए. शिक्षकों को साइंस एंड टेक्नोलॉजी का नियमित प्रशिक्षण देना चाहिए. भारतीय वैज्ञानिकों को पोस्ट कोविड प्रभावों से निपटने के लिए आत्मनिर्भर रहना चाहिए. स्वास्थ के क्षेत्र में हमें दवाईयों के विकल्पों पर भी जोर देना चाहिए.

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