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- 20 साल में भी नहीं बना...
मेरठ न्यूज़: पिछले 28 वर्षों से सरधना में स्थाई फायर स्टेशन की दरकार है जो पूरी नहीं हो पाई है. हर बार आग की घटना के बाद यह मुद्दा बहुत तेजी से उठता है और फिर कुछ दिन बाद फाइलों में दबकर रह जाता है. सरधना थाने में आग लगने के बाद फिर यह मुद्दा गर्माया. लोगों का कहना था कि अगर सरधना में अपना फायर स्टेशन होता तो नुकसान को कम किया जा सकता था.
वर्ष 1995 में पहली बार सरधना में फायर स्टेशन की कवायद शुरु हुई. शासन को प्रस्ताव भेजे गए लेकिन मामला कई कई वर्षों तक फाइलों में ही दबा रहा. सरकार बदलती गई लेकिन सरधना को स्थाई फायर स्टेशन नहीं मिल पाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले मेरठ दौरे के दौरान उम्मीद बंधी कि अब फायर स्टेशन तैयार होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस प्रोजेक्ट को अपनी पायलट प्रोजेक्टों में शामिल किया और अफसरों को जमीन ढूंढने के लिए लगा दिया. पिछले आठ वर्षों में तीन प्रस्ताव सरधना फायर स्टेशन के तैयार हो चुके हैं और शासन को भेजे जा चुके हैं.
दुर्गम ट्रैकिंग अभियान पर निकली सेना की टीम
सेना की पाइन डिविजन के जांबाज जवानों का दल दुर्गम ट्रैकिंग अभियान पर रवाना हुआ. मेरठ छावनी के जेसोर ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर मयंक वैद ने जवानों के दल को रवाना किया. जांबाज जवान हर्षिल से गोमुख तक की यात्रा करेंगे.
पाइन डिविजन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जेसोर ब्रिगेड (मेरठ छावनी) के कमांडर ब्रिगेडियर मयंक वैद ने ‘एम्बॉडिंग द स्पिरिट ऑफ रेजिलिएंस’ थीम के तहत ट्रैकिंग अभियान को हरी झंडी दिखाई. जवानों का दल 02-01-09 को मेरठ में एक सप्ताह का प्रशिक्षण देकर रवाना किया गया, जो हर्षिल से शुरू होगा. हर्षिल में एक सप्ताह तक अनुकूलन और प्रशिक्षण के बाद टीम एक से 10 अगस्त तक 10 दिनों में 106 किमी का रास्ता तय करेगी. टीम हर्षिल, गंगोत्री और गोमुख की रोमांचक गतिविधियों और मनमोहक दृश्यों का अनुभव प्राप्त करेगी.