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झाँसी न्यूज़: बुन्देलखंड विश्वविद्यालय का गांधी सभागार में उस वक्त तालियां गड़गड़ा गई जब जिलाधिकारी झांसी रविन्द्र कुमार के ऊपर लिखे गए उपन्यास सपनों के सारथी का विमोचन हुआ. डीएम खुद भी यहां साक्षी अतिथि के रूप में मौजूद रहे. इसमें उनके पिछले जीवन के संघर्ष की गाथा है जिसे 160 पृष्ठों में दो लेखकों ने मिलकर पिरोया.
बीयू के गांधी सभागार में मुख्य अतिथि प्रो मुकेश कुमार ने डीएम के जीवन पर लिखे उपन्यास का विमोचन किया. जिसका शीर्षक सपनों के सारथी रखा गया. लेखकों की मानें तो यह सपनों के सारथी कोई और नहीं बल्कि अपने जनपद के जिलाधिकारी ही है जो माता पिता के सपनों के सारथी बने.
पर, आईएएस में चयन के पूर्व संघर्ष की गाथा उपन्यास के पृष्ठों में ही है. इसी में उनके दो बार एवरेस्ट फतह करने का भी जिक्र किया गया है. उपन्यास में बताया गया कि जनपद के साहब बेहद साधारण परिवार से आईएएस सेवा में आए. इनके पिता का त्याग बेशुमार रहा और उन्होंने पढ़ाई के लिए जमीन ही नहीं बेची बल्कि इनकी माता को जेवर भी गिर्वी रखने पड़े थे. उपन्यास में बताया गया कि माता पिता के सपनों को पूरा करने के लिए पूरी शिद्यत से इन्होंने पढ़ाई की और आखिर वह सपनों के सारथी बन ही गए. कुलपति ने संबोधन में कहा कि उपन्यास युवाओं के लिए प्रेरणादायक है. वह इसे पढ़कर जीवन के कठिन से कठिन लक्ष्यों को भी हासिल कर सकते है. कुलपति ने कहा कि पढ़ने पर भावुकता, सकारात्मकता व ओज से नाड़ियों में सुखद कंपन होने लगता है. उपन्यास डा अनिरुद्ध (बीएसए आफिस में अध्यापक) आनंद चौबे ( स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी) ने मिलकर लिखा. कुलपति ने कहा कि यह उपन्यास गीता के समान है जो पढ़ने की ललक बढ़ाता है. राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा आदि रहे.