उत्तर प्रदेश

शबी के बुलंद हौसलों को सलाम, पैरा खिलाड़ी दिव्यांगों को देती है मुफ्त शिक्षा

Admin Delhi 1
7 March 2023 10:01 AM GMT
शबी के बुलंद हौसलों को सलाम, पैरा खिलाड़ी दिव्यांगों को देती है मुफ्त शिक्षा
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मेरठ: हौसला बुलंद हो तो सपनों को पंख लगने से कोई नहीं रोक सकता। फिर चाहे कितनी मुसीबतें सामनें आए सबका सामना करते हुए उस मुकाम को हासिल किया जा सकता है जिसके लिए इंसान केवल कल्पना करता है। ऐसे ही बुलंद हौसले की धनी शबी ने गाजियाबाद में आयोजित पैरा एथलेटिक प्रतियोगिता के पावर लिफ्टिंग इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर जिले का नाम रोशन किया है। महिला पैरा खिलाड़ी ने अपना पदक पिता को समर्पित किया है।

जैदी फार्म की संकरी गली में रहने वाली बेहद साधारण परिवार की शबी को तीन साल की उम्र में पोलियों हो गया था। इस वजह से उसके दोनों पैर काम नहीं करते। लेकिन किस्मत के इस प्रहार को लेकर शबी ने कभी हार नहीं मानी। वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी रही है। इस समय उसने बीए पास करने के बाद एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी भी कर रखी है।

दिव्यांग बच्चों को देती है मुफ्त शिक्षा: शबी खुद दिव्यांग है, ऐसे में वह उन बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है जो दिव्यांग हैं। इन बच्चों को शिक्षित करने के लिए शबी ने घर में ही कोचिंग सैंटर खोल रखा है जहां इन बच्चों को वह मुफ्त शिक्षा देती है।

इसके साथ ही वह किसी पर बोझ न बने तो घर के पास ही मौलाना अबुल कलाम आजाद स्कूल में शिक्षण कार्य करती है। वह जानती है कि दिव्यांग बच्चों को समाज में कमजोर समझा जाता है लेकिन वह इन बच्चों को अपनी तरह ताकतवर बनाने के लिए हर प्रयास करती है।

परिवार का मिलता है पूरा सहयोग: दिव्यांग होने के बाद भी शबी का हौसला चट्टान की तरह मजबूत है। इसके लिए वह अपने परिवार को श्रेय देती है, शबी का मानना है यदि परिवार का सपोर्ट न होता तो वह इस मुकाम को हासिल न कर पाती। मां गुलजौहरा जैदी व भाई एजाज हुसैन उसे पूरा सपोर्ट करते हैं। खेलों के प्रति उसका जनून देखते हुए कभी स्टेडियम जानें या बाहर प्रतियोगिताओं में जाने से नहीं रोकते।

देश के लिए खेलना है सपना: शबी जैरा का सपना है कि वह अपने देश के लिए खेले। इसके लिए वह दिनरात मेहनत कर रही है। उसे उम्मीद है कभी न कभी उसका यह सपना जरूर साकार होगा। शबी खेल के साथ अपनी शिक्षा व नौकरी को भी बखूबी अंजाम देती है और वह नहीं चाहती कि वह किसी पर बोझ बने। इसी लिए उसने अपनी दिनचर्या इस तरह की बनाई हुई है जिससे वह अपनी साभी जिम्मेदारियां निभा सके।

पिता का सपना था वह खेल के क्षेत्र में आगे बढ़े शबी के पिता नाजिर हुसैन शुरू से ही चाहते थे कि वह खेलों में आगे बढ़े लेकिन उसकी दिव्यांगता को लेकर उन्हें लगता था कि शायद यह मुमकिन नहीं है। आठ साल पहले शबी के पिता की मौत हो गई तो शबी ने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दिनरात मेहनत करनी शुरू कर दी। दिव्यांग होनें बावजूद उसका जबरदस्त हौंसला आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा।

घर से करीब छह किमी दूर कैलाश प्रकाश स्टेडियम में शबी ने एथलेटिक कोच गौरव त्यागी से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। वह शॉटपुट, जैबलिन व पावर लिफ्टिंग में अपनी प्रतिभा निखारने लगी। उसने कई स्थानीय प्रतियोगिताओं में कई पदक भी जीते है। लेकिन रविवार को शबी ने गाजिबाद में आयोजित पैरा एथलेटिक प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर जिले का नाम रोशन किया है।

शबी जैरा में काफी प्रतिभा है, वह अपने खेल के प्रति काफी गंभीर है। आनें वाले पैरा ओलंपिक में वह देश का प्रतिनिधित्व कर सकती है जिसके लिए उसकी तैयारी कराएंगे। -गौरव त्यागी, एथलेटिक कोच, स्टेडियम मेरठ।

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