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मेरठ। महानगर देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में एक माना जा रहा है। वायु प्रदूषण बढ़ने से मेरठ में सांस, एलर्जी, अस्थमा के अलावा सीओपीडी के मरीजों को परेशानी होने लगी है। वहीं इन बीमारियों के लिए काम आने वाली दवाइयों की बिक्री में उछाल आया है। मेर। मेरठ में दो दिन में दमा और सांस की दवाइयों की बिक्री 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है। चिकित्सकों की माने तो धूलकणों के साथ सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन डाई आक्साइड एवं मोनोआक्साइड सहित अन्य खतरनाक गैसों के रिएक्शन से श्वसन तंत्र और फेफड़ों पर प्रभाव पड़ता है। जबकि कई मरीजों में हार्ट की बीमारी और कैंसर के लक्षण भी उभर आते हैं।
खैरनगर दवा व्यापार के अध्यक्ष रजनीश कौशल ने बताया कि जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो श्वसन तंत्र संबंधित दवाओं की बिक्री में कई गुना इजाफा हो जाता है। इस समय मेरठ देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में एक है। सांस और दमा के मरीजों में परेशानी की बड़ी वजह वायु प्रदूषण है। पिछले साल नवंबर माह में सांस की दवाओं की करीब पांच करोड़ रुपये थी। इस बार 50 लाख रुपये और बढ़ने का अनुमान है।
ग्लोबल बर्डेन डिसीज की रिपोर्ट के अनुसार मेरठ-एनसीआर 12 से 15 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं। 52 प्रतिशत की उम्र 70 वर्ष से कम थी। औद्योगिक क्षेत्रों, कंस्ट्रक्शन कारोबार, ईंट भट्ठों एवं सुलगते कूड़ा घरों के पास रहने वालों में सीओपीडी, अस्थमा, दिल के मरीज,खांसी, लंग्स कैंसर, चर्म रोग और गले में खराश की समस्या अधिक हो रही है। सल्फर एवं नाइट्रोजन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ने से सांस लेने के दौरान नलिका में अम्ल जमने से श्वसन तंत्र और हार्ट में विकार आ रहे हैं।
जिले में प्रदूषण रोकने के सभी दावे ध्वस्त नजर आ रहे हैं। मेरठ महानगर में जगह—जगह खुले में रेत बिक रहा है। सड़कों पर धूल उड़ रही है। सड़क किनारे भवन निर्माण हो रहा है। रैपिड रेल कारिडोर का निर्माण भी इस समय चल रहा है। नियम है कि कार्यदायी कंपनी लगातार छिड़काव करे ताकि धूल न उड़े लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। धूल और धुएं के साथ हजारों जानलेवा बैक्टीरिया पनप रहे हैं। ये सेहत के लिए खतरा है।
Admin4
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