उत्तर प्रदेश

दुर्घटना बीमा हड़पने को सहारनपुर की महिला ने गढ़ी हादसे की फर्जी कहानी

Admin4
19 Jan 2023 6:23 PM GMT
दुर्घटना बीमा हड़पने को सहारनपुर की महिला ने गढ़ी हादसे की फर्जी कहानी
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मुरादाबाद। दूसरी बार दुर्घटना बीमा हथियाने की कोशिश में सहारनपुर की एक महिला ने दो अधिवक्ताओं के साथ मिलकर हादसे की झूठी कहानी गढ़ी। लालची महिला ने कहानी में न सिर्फ पति का कारोबार बदला, बल्कि सहारनपुर की बजाय उसे मुरादाबाद का मूल निवासी भी करार दिया। एसआइटी जांच में महिला व उसके दोनों वकीलों के खेल का भंडाफोड़ हो गया। एसआइटी निरीक्षक की तहरीर पर तीनों आरोपियों के खिलाफ सिविल लाइंस पुलिस ने साजिश के तहत धोखाधड़ी करने के आरोप में केस दर्ज किया है।
एसआइटी निरीक्षक जय प्रकाश यादव की तहरीर के मुताबिक मुकेश पुत्र कलीराम निवासी ग्राम ताहरपुर कोतवाली सदर की पत्नी पिंकी ने दो जनवरी 2012 को एक प्रार्थना पत्र एसएसपी सहारनपुर को सौंपा। तहरीर के जरिए महिला ने बताया कि उसका पति मुकेश डंपर पर बतौर क्लीनर नियुक्त था। डंपर शामली रोड मुजफ्फर नगर निवासी कंवरपाल सिंह का था। 12 मार्च 2011 को दिन में करीब सवा दो बजे पति डंपर पर बजरी लेकर ननौता की ओर जा रहा था। डंपर चालक ने आईटीआई-दिल्ली रोड सहारनपुर में एक चाय की दुकान पर वाहन रोका। चाय पीने के कुछ ही देर बाद चालक ने डंपर आगे बढ़ाया। डंपर पर चढ़ने के दौरान महिला के पति मुकेश का पैर फिसल गया।
मुकेश के सिर व शरीर में चोटें आईं। घायल मुकेश को सहारनपुर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से चिकित्सकों ने मुकेश को हायर सेंटर रेफर कर दिया। मुकेश को उपचार के लिए हिमालयन हास्पिटल, जोली ग्रांट, देहरादून, उत्तराखंड में भर्ती कराया गया। तीन माह तक चले उपचार के बाद मुकेश की हालत ठीक हुई। प्रार्थना पत्र को आधार बनाकर अधिवक्ता इंद्र सिंह गौतम ने मुकेश बनाम कंवरपाल की याचिका उपश्रमायुक्त कार्यालय मुरादाबाद की कोर्ट में दाखिल की। विपक्षी बीमा कंपनी ने याचिका में अंकित अस्थाई निवास के पते पर आपत्ति की। तब कोर्ट ने याची को निवास प्रमाण पत्र दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट के समक्ष प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की बजाय याची अनुपस्थित रहने लगा। तब कोर्ट ने 10 मार्च 2015 को याचिका निरस्त कर दी।
एसआइटी की जांच से पता चला कि मुकेश पुत्र कलीराम मूलरूप से सहारनपुर के सदर कोतवाली क्षेत्र स्थित ताहरपुर गांव का रहने वाला है। सहारनपुर में हसनपुर पुलिस चौकी के पास उसकी रिक्शे की दुकान थी। घटना के वक्त मुकेश के पास कुल 100 रिक्शे थे जिन्हे वह किराए पर चलवाता था। घटना के दिन 12 मार्च 2011 को दोपहर में दुकान से बाइक पर सवार होकर वह खाना खाने घर जा रहा था।
करीब साढ़े तीन बजे आईटीआई कालेज व बिजलीघर के बीच एक अनुबंधित बस ने मुकेश की बाइक में टक्कर मार दी। घायल मुकेश का उपचार एसबीडी अस्पताल, सहारनपुर व जौलीग्रांट अस्पताल, देहरादून में हुआ। हादसे के तत्काल बाद भीड़ ने आरोपी बस को मौके पर रोक लिया। सहारनपुर कोतवाली सदर बाजार की पुलिस ने शाम करीब सवा छह बजे बस व उसके अज्ञात चालक के विरुद्ध केस पंजीकृत किया। मुकदमा मुकेश के चचेरे भाई उधल सिंह पुत्र सुरता सिंह की तहरीर पर दर्ज हुआ था। आरोपी बस चालक सुनील तोमर पुत्र जय वीर सिंह निवासी गुराना थाना बडौत, बागपत के खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। हादसे के बाद मुकेश लकवा ग्रस्त हो गया। चलने व बोलने में उसे परेशानी है। गोवर्धन सिंह पुत्र ज्योतिराम पेशे से होमगार्ड व मुकेश के परिवार का सदस्य है।
गोवर्धन सिंह ने मुकेश की पत्नी पिंकी को बताया कि कोर्ट के द्वारा केस दर्ज होने पर इलाज के रुपए मिलते हैं। गोवर्धन सिंह के साथ पिंकी ने अधिवक्ता देशराज गौतम से मुलाकात की। 18 अक्टूबर 2011 को अधिवक्ता देशराज गौतम ने एमएसीटी जिला जज, सहारनपुर की कोर्ट में मुकेश बनाम पवन कुमार से संबंधित याचिका दाखिल की। 22 मई 2013 को कोर्ट ने आदेश दिया कि चूंकि आरोपित वाहन का बीमा नहीं है।
ऐसे में पवन कुमार को मात्र एक लाख रुपये मुकेश को देने होंगे। कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक याचिका छह सितंबर 2013 को उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में दाखिल की गई। याचिका फिलहाल लंबित है। जांच के आधार पर एसआइटी ने मुकेश की पत्नी पिंकी व दोनों अधिवक्ताओं को बीमा की रकम हड़पने की नियत से साजिश रचने का आरोपी माना। आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर सिविल लाइंस पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
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