उत्तर प्रदेश

केस्को में 1.68 लाख के घोटाले का हुआ खुलासा, 90 लाख बरामद

Admin4
9 Aug 2023 11:43 AM GMT
केस्को में 1.68 लाख के घोटाले का हुआ खुलासा, 90 लाख बरामद
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कानपुर। कानपूर बिजली आपूर्ति कंपनी (केस्को) में हुए 1.68 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा पुलिस कमिश्नरेट कानपूर नगर की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल, स्वाट व सर्विलास टीम ने Wednesday को कर दिया है. शातिरों ने पेमेंट गेटवे के यूआरएल में बदलाव कर पैसे ट्रांसफर किये हैं. साइबर सेल ने एक-एक तार को जोड़ते हुए ठगी के पूरे मामले का राजफास कर दिया है.
साइबर सेल की टीम ने अब तक छह अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए करीब 90 लाख रुपये की बरामदगी भी कर ली है. अब तक की जांच में कुछ और नाम भी प्रकाश में आए हैं जिनकी गिरफ्तारी के लिए टीमें अलग-अलग जनपदों में दबिश दे रही हैं. खुलासा करने वाली टीम को Police आयुक्त बीपी जोगदंड द्वारा एक-एक लाख रुपये के दो इनाम देने की घोषणा की है.
केस्को के उपभोक्ता अपने बिजली के बिलों का भुगतान आईसीआईसीआई Bank के गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन करते हैं. भुगतान के बाद आइसीआइसीआइ Bank केस्को के खाते में धनराशि भेजता है. बीते दिनों जब केस्को ने भुगतान का मिलान किया तो पता चला कि 18 जून से लेकर 16 जुलाई तक करीब 1905 उपभोक्ता द्वारा जमा किया गया करीब 1.68 करोड़ रुपये केस्को को मिला ही नहीं. इस पर केस्को की तरफ से ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया. उसमें कहा गया कि 18 से 23 जून तक केस्को के 679 उपभोक्ताओं के 44.92 लाख रुपये आईसीआईसीआई Bank के गेटवे में छेड़छाड़ कर दूसरे खाते में ट्रांसफर लिए गए. इसके बाद एक से 16 जुलाई तक 1102 उपभोक्ताओं के जमा 1.03 करोड़ रुपये उसी तरह की चपत लग गई. 17 जुलाई को एक-एक उपभोक्ता के भुगतान का सत्यापन और Bank खाते में आए भुगतान का मिलान कराया. इसमें यह सामने आया कि बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने भुगतान तो किया है लेकिन धनराशि Bank ने ट्रांसफर नहीं की है. पता चला कि गेटवे में छेड़छाड़ कर दूसरे खाते में करीब 1.68 करोड़ रुपये का भुगतान लिया गया है.
22 जुलाई को मुकदमा लिखे जाने के बाद Police कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू की और एक-एक तार जोड़ना शुरू किया. इससे सामने आ रही जानकारियों पर साइबर सेल समेत Police की चार टीमों को Meerut , बागपत और उसके आसपास के शहरों में भेजा गया. वैज्ञानिक व केस्को इलेक्ट्रानिक के साक्ष्यों के आधार पर हुई जांच में यह साफ हो गया कि यह काम हैकर्स का है. हैकर्स हर एक दो घंटे बाद केस्को के गेटवे के यूआरएल में छेड़छाड़ करके ऑनलाइन जमा हो रही धनराशि को अपने खाते में ट्रांसफर कर रहे थे. यह खाता आईसीआईसीआई Bank के जनपद बड़ौत की शाखा में केस्को इलेक्ट्रानिक के नाम से खुले करंट एकाउंट में भेजा और वहीं से निकाला जा रहा है. यह करंट एकाउंट बागपत निवासी सुमन पत्नी योगेंद्र के नाम पर खुला है. पूरे खेल में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की प्रमुख भूमिका है जिसने गेटवे का यूआरएल चेंज कर पैसा ट्रांसफर किया है.
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