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अपनी ही पार्टी के स्वामी प्रसाद पर थम नहीं रहा ऋचा का हमला
इलाहाबाद न्यूज़: इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष व सपा नेता डॉ ऋचा सिंह का पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले दिनों रामचरित मानस पर बयान देकर विवादों में घिरे स्वामी प्रसाद मौर्य के हर बयान का डॉ. ऋचा आलोचना कर रही हैं. ऋचा का ट्वीट जमकर रीट्वीट हो रहा है. सपा कार्यकर्ता आलोचना भी कर रहे हैं लेकिन, ऋचा स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लगातार ट्वीट कर रही हैं.
प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले दिनों रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों पर सवाल खड़े करते हुए ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. पूर्व मंत्री के इस बयान के बाद ऋचा ने 21 जनवरी को पहली बार ट्विटर पर लिखा, 'रामचरित मानस की जिन पंक्तियों को लेकर आप आपत्ति कर रहे हैं, सच यह है कि आप ने उन पंक्तियों को सही परिपेक्ष्य और उचित भावार्थ के साथ नहीं पढ़ा.'
दूसरे दिन ऋचा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर फिर ट्वीट किया, ह्यछद्म समाजवादी @ swamipmaury जी को लोहिया जी के समाजवाद को पढ़ना चाहिए जो समाजवाद और श्रीराम में सामंजस्य देखते हैं.
'23 जनवरी को ऋचा ने लिखा, ह्यदलितों और वंचितों के नाम पर सत्ता की मलाई खाने वाले, जाति के नाम पर राजनीति करने वाले SwamiPMauryं आज तक किसी दलित और वंचित का हित किए हों तो पहले उस पर बात करें. उनके विचारों से तो उनकी बेटी ही सहमत नही हैं. बाकी किताब प्रतिबंध करना, उनकी बुद्धि और शक्ति सीमा के परे है.'
स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा का महासचिव बनाए जाने के बाद भी ऋचा का हमला नहीं रुका. ऋचा के एक एक ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया में सीपीआईएम नेता सुभाषिनी अली ने लिखा,'भगवान को मानना या न मानना भी धर्मनिरपेक्षता और अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है. जिस तरह से किसी पर कोई धर्म थोपा नहीं जा सकता, उसी तरह से किसी पर आस्था की अनिवार्यता भी नहीं थोपी जा सकती.'
सुभाषिनी अली के इस विचार पर भी ऋचा नहीं रुकीं. जवाब में उन्होंने लिखा, 'प्रकृति और ईश्वर एक सिक्के के दो पहलू हैं, एक को मानना और दूसरे को न मानना मानसिक दिवालियापन है.' ऋचा ने लिखा,ह्णमानसिक जुगाली से SwamiPMaurya दलित आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं.