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नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के साथ संसाधन भी बढ़ेंगे
वाराणसी: केंद्र सरकार की पीएमश्री योजना के दूसरे चरण में जिले के नौ स्कूलों का चयन हुआ है. इनमें दो राजकीय और सात परिषदीय विद्यालय शामिल हैं. इन स्कूलों में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के साथ लैब, भवन, कक्षाएं और शिक्षण के लिए धनराशि जारी की जाएगी.
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश के 782 विद्यालयों की लिस्ट जारी की गई है. इनमें 7 बेसिक और 56 माध्यमिक विद्यालयों का चयन किया गया है. चैलेंज मैथड प्रक्रिया के अंतर्गत हुए इस चयन के लिए सभी स्कूलों ने ऑनलाइन आवेदन किए थे. स्कूलों के प्रेजेंटेशन और स्थलीय सत्यापन के बाद इन्हें ‘पीएमश्री’ योजना के अंतर्गत चुना गया है. वाराणसी में इस सूची में दो राजकीय माध्यमिक विद्यालय और सभी ब्लॉक सात बेसिक विद्यालय हैं. इनमें भी दो प्राथमिक और पांच कंपोजिट विद्यालयों का चयन किया गया है.
महानिदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से सभी चयनित स्कूलों बुनियादी सुविधाओं, भवन, कक्षा, छात्र और शिक्षक संख्या संबंधित सूचनाएं भी तलब की गई हैं. बेसिक शिक्षा विभाग को 15 तक सभी सूचनाएं उपलब्ध करानी हैं. बीएसए डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने बताया कि स्कूलों के पीएमश्री योजना में चयन से शिक्षण का स्तर सुधरेगा. साथ ही दूसरे विद्यालयों में भी प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित होगी. उन्होंने कहा कि विद्यालयों पर जल्द ही ‘पीएमश्री’ का बोर्ड भी लगा दिया जाएगा.
इन स्कूलों को मिला मौका
● राजकीय क्वींस इंटर कॉलेज
● राजकीय अभिनव इंटर कॉलेज आराजीलाइन
● प्राथमिक विद्यालय भिटारी विद्यापीठ ब्लॉक
● प्राथमिक विद्यालय ठठरा प्रथम सेवापुरी ब्लॉक
● कंपोजिट विद्यालय पलिया हरहुआ ब्लॉक
● कंपोजिट विद्यालय उमरहां चिरईगांव ब्लॉक
● कंपोजिट विद्यालय ओदार पिंडरा ब्लॉक
● कंपोजिट विद्यालय महदा चोलापुर ब्लॉक
● कंपोजिट विद्यालय बड़ागांव, बड़ागांव ब्लॉक
क्या है पीएमश्री योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षण व्यवस्था में सुधार के लिए वर्ष-2022 में पीएमश्री योजना की शुरुआत की थी. इसके अंतर्गत चुने गए स्कूलों में अत्याधुनिक लैब, कंप्यूटर शिक्षा, लाइब्रेरी, खेलकूद प्रतिभाओं को निखारने के लिए उपकरण और प्रशिक्षक दिए जाएंगे. साथ ही जरूरत के अनुसार स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा. इसमें आने वाला सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. योजना की निगरानी और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.