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प्रतापगढ़ न्यूज़: स्लीपर बसों की सीटें घटाकर परिवहन विभाग का राजस्व चोरी करने वालों पर विभाग ने शिकंजा कस दिया है. इस पर रोक लगाने के लिए अपर परिवहन आयुक्त ने निर्देश दिया है कि स्लीपर बसों का पंजीकरण कराने से पहले उसका फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा. फिटनेस प्रमाण पत्र से यह निर्धारित हो जाएगा कि सम्बंधित बस के पंजीकरण में कितनी सीटें दर्शाई जानी चाहिए.
स्लीपर बसों के पंजीकरण को लेकर परिवहन विभाग की ओर से वर्ष 2020 में नई गाइडलाइन जारी की गई थी. जिसमें स्लीपर बसों की लंबाई, चौड़ाई औ ऊंचाई के मुताबिक उनकी सीटें निर्धारित करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है. इसके बाद भी बस स्वामी पंजीकरण के दौरान टैक्स बचाने के लिए बसों में कम सीटें दर्शाने का दबाव अफसरों पर डालते हैं. कई बार इसी दबाव में परिवहन विभाग के अफसर स्लीपर बसों का रजिस्ट्रेशन अनियमित तरीके से कर देते हैं. इस पर रोक लगाने के लिए अपर परिवहन आयुक्त ने स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि स्लीपर बसों के पंजीकरण से पहले उनका फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाए. दरअसल ऑनलाइन फिटनेस प्रमाण पत्र से यह स्पष्ट हो जाएगा कि सम्बंधित स्लीपर बस की पासिंग कितने सीट की होनी चाहिए. अपर परिवहन आयुक्त के निर्देश के मुताबिक 15 मीटर लंबी स्लीपर बस की पासिंग चालक सहित 63 सीट की होगी. इसमें 15 स्लीपर और चालक सहित 33 सीटें बैठने के लिए होंगी. परिवहन विभाग एक स्लीपर को दो सीटों के बराबर मानकर टैक्स वसूलता है. इस बाबत एआरटीओ प्रशासन वीके सिंह ने बताया कि स्लीपर बसों का मानक तय करने को लेकर बेल्हा में भी कई बार असमंजस की स्थिति पैदा हुई है लेकिन शासन की गाइडलाइन के मुताबिक ही पंजीकरण किया जा रहा है.