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मेरठ न्यूज़: तकनीकी तौर पर फिसड्डी साबित हो रहे चौराहे अब बदहाली का भी शिकार होने लगे हैं. यहां बात 28 करोड़ से तैयार किए गए आठ आईटीएमएस चौराहों की हो रही है, जिन्हें कोई देखने वाला नहीं है. आलम यह है कि कहीं ट्रैफिक लाइट टूट गई हैं तो कहीं कैमरे घूम गए हैं. कुछ जगह तो लाइटों को भी घुमा दिया गया है. पूरी व्यवस्था ट्रैफिक विभाग और नगर निगम के अधीन है. बावजूद इसके इस बदहाली को कोई देखने वाला नहीं है.
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को धार देने के उद्देश्य से इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) को अपनाया गया था. आठ चौराहे चिह्नित करते हुए 28 करोड़ से उन्हें तैयार किया गया. दावा किया गया था कि अब शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव दिखेगा. 24 अगस्त को इस व्यवस्था ने काम भी शुरू कर दिया. चौराहे जाम के चलते अव्यवस्थित हैं. चलानी प्रक्रिया के बाद भी हजार-दो हजार नहीं, बल्कि 15-15 हजार लोग हर रोज नियम तोड़ते कैमरों में कैद हो रहे हैं और चालान केवल 700 से 800 तक पहुंच रहा है.
ट्रैफिक विभाग की जिम्मेदारी वाहनों के आवागमन को बेहतर करना है. तकनीकी समस्या अगर कहीं है तो उसे नगर निगम को ही दूर कराना होगा. वहां तकनीकी टीम मौजूद है.
- जेके श्रीवास्तव, एसपी ट्रैफिक
शरारती तत्वों का काम
चौराहे पर लगी ट्रैफिक लाइट हो या फिर कैमरे, इनसे छेड़छाड़ का क्रम भी शुरू हो गया है. हापुड़ अड्डे से भूमिया के पुल की ओर जाने वाले रास्ते पर पिडिस्ट्रीयन क्रॉसिंग (जैब्रा क्रासिंग पर लगने वाली) की लाइट किसी ने घुमाकर उल्टी कर दी है. ऐसा ही कुछ डिग्गी तिराहे पर सामने आया है. यहां यूनीवर्सिटी से मेडिकल वाले रास्ते पर लगे तीन आरएलवीडी कैमरों में से एक कैमरे की दिशा शरारती तत्वों ने बदल दी है.
आईटीएमएस से जुड़ी कुछ तकनीकी समस्याओं की जानकारी मिली थी, जिन्हें ठीक कराया जा रहा है. जहां तक उपकरणों से छेड़छाड़ की बात है तो जांच कराते हुए कार्रवाई कराएंगे.
- अमित कुमार शर्मा, नोडल अफसर, आईटीएमएस