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स्क्रब टाइफस की रैपिड टेस्ट किट से देशभर में गोरखपुर का डंका
गोरखपुर न्यूज़: गोरखपुर स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) के वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई स्क्रब टाइफस की रैपिड टेस्ट किट को देश के पांच बेहतरीन इनोवेशन में शामिल किया गया है. को दिल्ली में होने वाली आईसीएमआर की कांफ्रेंस में किट इजाद को करने वाले वैज्ञानिकों की टीम को सम्मानित किया जाएगा.
आरएमआरसी के निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि आईसीएमआर के देश में 27 संस्थान है. उसमें कार्यरत करीब एक हजार वैज्ञानिकों के पांच रिसर्च और पांच इनोवेशन को सम्मानित किया जाएगा. को दिल्ली में यह कार्यक्रम होगा. इसमें आरएमआरसी का स्क्रब टायफस किट चुना गया है. इस किट के पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है. यह किट महज 45 मिनट में ही स्क्रब टॉयफस की पहचान कर लेगी. पहले इस जांच में तीन से पांच दिन लगते थे.
पूर्वी यूपी में इंसेफलाइटिस के प्रमुख कारक स्क्रब टायफस है. बीते आठ साल में स्क्रब टायफस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस समय इंसेफलाइटिस के करीब 60 फीसदी मरीज स्क्रब टायफस से भी पीड़ित रहते हैं. खास बात यह है कि समय से पहचान होने पर इसका सटीक इलाज भी है. अब तक इसकी पहचान के लिए तीन दिन की लंबी जांच प्रक्रिया थी. इस समस्या का हल खोजा आरएमआरसी के निदेशक डॉ. रजनीकांत की अगुवाई में वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह और डॉ. पूजा भारद्वाज ने. उन्होंने रैपिड टेस्ट किट इजाद समय से इलाज का रास्ता तैयार कर दिया है.
बैक्टीरिया से होता स्क्रब टायफस डॉ. राजीव ने बताया कि स्क्रब टायफस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है. यह बैक्टीरिया, डीएनए प्रोटीन से बनता है. एलाइजा या आरटीपीसीआर जांच में डीएनए को अलग कर बैक्टीरिया की पहचान की जाती है. नई किट में आईसोथर्मल पीसीआर को तैयार किया गया है. यह बैट्री से संचालित हीटर युक्त मशीन है. साथ ही बैक्टीरिया के डीएनए की पहचान के लिए स्ट्रिप (पट्टी) बनाई गई है. बैक्टीरिया में से डीएनए को अलग करने के लिए स्पेशल कार्टरिच भी बनाई गयी है. इस किट से जांच चार चरणों में होगी. इस प्रक्रिया में अधिकतम 45 मिनट लगेंगे