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उत्तर प्रदेश
2024 की मकर संक्राति पर बालस्वरूप में राममंदिर में विराजमान होंगे रामलला
Shantanu Roy
14 Jan 2023 10:11 AM GMT
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बड़ी खबर
अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में बन रहे विश्व के सबसे दिव्य और भव्य रामलला के मंदिर को लेकर बड़ी खबर आई है। आज से ठीक एक साल बाद यानी 2024 की मकरसंक्रांति को भगवान राम के बाल स्वरुप की प्रतिमा की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। 2024 मकरसंक्रांति तक भगवान रामलला की मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा होगी। उन्होंने कहा कि अभी तक जो तैयारी है उसके मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा का काम 1 जनवरी से 14 जनवरी के बीच करने की योजना है। राय ने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। प्रथम तल का निर्माण कार्य अक्टूबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद भगवान राम के बाल स्वरुप की प्रतिमा को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अपने तय समय सीमा से पहले बनकर तैयार होगा। मंदिर का निर्माण तेज गति के साथ चल रहा है।लगभग 60 फीसदी निर्माण कार्य अब तक पूरा हो चुका है। हालांकि जनवरी 2024 में मंदिर के गर्भगृह का कार्य पूरा कर भगवान को स्थापित कर दिया जाएगा।
लेकिन अब सवाल यह उठता हैं कि आखिर गर्भगृह में विराजमान होने वाले भगवान श्रीराम की मूर्ति कैसे और किस तरह की होगी? किस स्वरूप में होगी? तब चलिए आज हम आपको भगवान श्रीराम की मूर्ति के बारे में बताते हैं। दरअसलश्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के भवन निर्माण समिति की बैठक प्रति माह आयोजित होती है, बैठक में छोटे-छोटे बिंदुओं पर अध्ययन होता है। इस बार की बैठक में भगवान श्रीराम के स्वरूप को लेकर मंथन हुआ जिसमें इसका निर्णय लिया गया कि श्रद्धालु अपने आराध्य का दर्शन 30 से 35 फुट की दूरी से कर सके। साथ ही रामलला की मूर्ति 5 वर्ष से 7 वर्ष के बीच बालक के बालस्वरूप में होगी। इसके साथ ही उस मूर्ति में उंगलियां कैसी हो चेहरा कैसा हो आंखें कैसी हो इसपर देश के बड़े-बड़े मूर्तिकार अभी से मंथन करने में जुट गए हैं। हालांकि ट्रस्ट के मुताबिक भगवान श्रीराम की मूर्ति 8.5 फीट लंबी होगी इससे बनाने में 5 से 6 महीने का वक्त लगेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव राय बताते हैं कि भगवान के मूर्ति का स्वरूप नीलाम्बुजश्यामलकोमलाड़िग के तर्ज पर बनाया जाएगा। मूर्ति के लिए इस तरह के पत्थर का चयन किया जाएगा जो आकाश के रंग का हो यानी आसमानी रंग का हो। इसके साथ ही महाराष्ट्र और उड़ीसा के मूर्तिकला के विद्वानों ने आश्वासन दिया है कि ऐसा पत्थर उनके पास उपलब्ध है। पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार रामलला की मूर्ति का आकार बनाएंगे। जिसमें उड़ीसा के सुदर्शन साहू इसके साथ ही वासुदेव कामात तथा कर्नाटक के रमैया वाडेकर वरिष्ठ मूर्तिकार शामिल है। ट्रस्ट ने अभी इन मूर्तिकारों से मूर्ति का डायग्राम तैयार करने को कहा है।
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