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उत्तर प्रदेश
राम गोविन्द चौधरी 8 बार रह चुके हैं विधायक , अखिलेश यादव के करीबी
Shiddhant Shriwas
23 Jan 2022 5:49 PM GMT
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उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) में रामगोविंद चौधरी (Ram Govind Chaudhary) का नाम अनुभवी और वरिष्ठ नेताओं की सूची में शामिल है. वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक 8 बार विधायक चुने गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) में रामगोविंद चौधरी (Ram Govind Chaudhary) का नाम अनुभवी और वरिष्ठ नेताओं की सूची में शामिल है. वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक 8 बार विधायक चुने गए हैं. अपने इस सियासी सफर में वह मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं. समाजवाद पार्टी (सपा) के दिग्गज राजनेताओं में शुमार राम गोविंद चौधरी ने लोकनायक जयप्रकाश और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ भी काम किया है. वह चंद्रशेखर के काफी करीबी भी रहे हैं. तो वही मौजूदा समय में उन्हें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बेहद ही करीबी माना जाता है.
छात्र जीवन से शुरू किया राजनीतिक सफर
रामगोविंद चौधरी 9 जुलाई 1953 को बलिया के गोसाईंपुर गांव में पैदा हुए थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूरी की. रामगोविंद चौधरी ने दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर से स्नातक किया और फिर वह लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर वकालत करने लगे, लेकिन उन्होंने अपना सियासी सफर इससे पहले ही शुरू कर लिया था. राम गोविंद चौधरी ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की थी. वह साल 1971-72 में बलिया के मुरली मनोहर टॉउन महाविद्यालय में महामंत्री और उसके बाद अध्यक्ष चुने गए थे.
1977 में पहली बार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे
रामगोविंद चौधरी पहली बार 1977 के विधानसभा चुनाव मे चिलकहर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के टिकट पर जीतकर विधायक बने थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के जितेन्द्र बहादुर को हराया था. 1980 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी ने फिर कांग्रेस के जितेंद्र बहादुर को हराया. वहीं 1985 के विधानसभा चुनाव में वह लगातार तीसरी बार जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. 1989 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी चौथी बार विधायक चुने गए. इस बार वह जनता दल के टिकट पर विधायक बने और उन्होंने बसपा के छोटेलाल को चुनाव हराया था. 1991 के विधानसभा चुनाव में वह जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने. इस बार भी उन्होंने बसपा के छोटेलाल को हराया था.
रामगोविंद चौधरी दिसंबर 1990 से 1991 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री थे भी रहे. 1993 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी जनता दल के टिकट पर एक बार फिर चिलकहर विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन वह सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. 1996 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) से चिलकहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और वह चौथे नंबर पर रहे.
2002 में जीत दर्ज करने के बाद सपा से विधानमंडल दल का नेता बनाया गया
2002 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़े. इस बार वह चुनाव जीतकर विधायक बन गए. उन्होंने अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के बच्चा पाठक को हराया. यह चुनाव जीतने के बाद उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) से विधानमंडल दल का नेता चुना गया था. 2007 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन बसपा के प्रत्याशी शिव शंकर से मात्र 488 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे.
2012 में जीत दर्ज की वापसी की, 2017 में भी विजय हुए
2012 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी एक बार फिर से बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. इस बार उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया. 2012 में सपा प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थी. इस जीत के बाद अखिलेश यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए थे. अखिलेश यादव की कैबिनेट में रामगोविंद चौधरी को बेसिक शिक्षा मंत्री, समाज कल्याण मंत्री बनाया गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा नेता राम गोविंद चौधरी आठवीं बार विधायक चुने गए . उन्होंने इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया. इस चुनाव में रामगोविंद चौधरी को 51,201 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को 49,574 वोट मिले.
अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं चौधरी
रामगोविंंद चौधरी अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. सपा छोड़कर बसपा में गए मुख्तार अंसारी को लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसे गुंडों का सपा से जाना ही अच्छा है. रामगोविंद चौधरी का एक और बयान काफी विवादों में था, जब उन्होंने कहा कि गंगा-यमुना सहित सभी नदियां धार्मिक नहीं हैं, यह बयान उन्होंने जंगीपुर विधानसभा उपचुनाव के वक्त एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया था. समाजवादी पार्टी की आपसी कलह के दौरान वह अखिलेश यादव के साथ पूरी तत्परता के साथ खड़े दिखाई दिए थे. उन्होंने कहा था कि अखिलेश ही मेरे लिए समाजवादी हैं.
रामगोविंद चौधरी 9 जुलाई 1953 को बलिया के गोसाईंपुर गांव में पैदा हुए थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूरी की. रामगोविंद चौधरी ने दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर से स्नातक किया और फिर वह लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर वकालत करने लगे, लेकिन उन्होंने अपना सियासी सफर इससे पहले ही शुरू कर लिया था. राम गोविंद चौधरी ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की थी. वह साल 1971-72 में बलिया के मुरली मनोहर टॉउन महाविद्यालय में महामंत्री और उसके बाद अध्यक्ष चुने गए थे.
1977 में पहली बार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे
रामगोविंद चौधरी पहली बार 1977 के विधानसभा चुनाव मे चिलकहर विधानसभा सीट से जनता पार्टी के टिकट पर जीतकर विधायक बने थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के जितेन्द्र बहादुर को हराया था. 1980 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी ने फिर कांग्रेस के जितेंद्र बहादुर को हराया. वहीं 1985 के विधानसभा चुनाव में वह लगातार तीसरी बार जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. 1989 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी चौथी बार विधायक चुने गए. इस बार वह जनता दल के टिकट पर विधायक बने और उन्होंने बसपा के छोटेलाल को चुनाव हराया था. 1991 के विधानसभा चुनाव में वह जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने. इस बार भी उन्होंने बसपा के छोटेलाल को हराया था.
रामगोविंद चौधरी दिसंबर 1990 से 1991 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री थे भी रहे. 1993 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी जनता दल के टिकट पर एक बार फिर चिलकहर विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन वह सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी से चुनाव हार गए. 1996 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) से चिलकहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और वह चौथे नंबर पर रहे.
2002 में जीत दर्ज करने के बाद सपा से विधानमंडल दल का नेता बनाया गया
2002 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़े. इस बार वह चुनाव जीतकर विधायक बन गए. उन्होंने अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के बच्चा पाठक को हराया. यह चुनाव जीतने के बाद उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) से विधानमंडल दल का नेता चुना गया था. 2007 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े, लेकिन बसपा के प्रत्याशी शिव शंकर से मात्र 488 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे.
2012 में जीत दर्ज की वापसी की, 2017 में भी विजय हुए
2012 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी एक बार फिर से बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. इस बार उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया. 2012 में सपा प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थी. इस जीत के बाद अखिलेश यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए थे. अखिलेश यादव की कैबिनेट में रामगोविंद चौधरी को बेसिक शिक्षा मंत्री, समाज कल्याण मंत्री बनाया गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा नेता राम गोविंद चौधरी आठवीं बार विधायक चुने गए . उन्होंने इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया. इस चुनाव में रामगोविंद चौधरी को 51,201 वोट मिले थे, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को 49,574 वोट मिले.
अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं चौधरी
रामगोविंंद चौधरी अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहे हैं. सपा छोड़कर बसपा में गए मुख्तार अंसारी को लेकर उन्होंने कहा था कि ऐसे गुंडों का सपा से जाना ही अच्छा है. रामगोविंद चौधरी का एक और बयान काफी विवादों में था, जब उन्होंने कहा कि गंगा-यमुना सहित सभी नदियां धार्मिक नहीं हैं, यह बयान उन्होंने जंगीपुर विधानसभा उपचुनाव के वक्त एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया था. समाजवादी पार्टी की आपसी कलह के दौरान वह अखिलेश यादव के साथ पूरी तत्परता के साथ खड़े दिखाई दिए थे. उन्होंने कहा था कि अखिलेश ही मेरे लिए समाजवादी हैं.
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