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अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग से रोक सकते हैं रेल फ्रैक्चर
गोरखपुर न्यूज़: इंस्टीट्यूट ऑफ परमानेन्ट वे इंजीनियर्स की ओर से अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग ऑफ रेल्स एण्ड वेल्ड्स‘ विषय पर प्रमुख मुख्य इंजीनियर कार्यालय में तकनीकी संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.
संगोष्ठी में इं. रंजन यादव ने कहा कि ट्रेन संचलन में संरक्षा सर्वोपरि होती है. ट्रेनों की होने वाली दुर्घटनाओं में रेल फैक्चर्स एक प्रमुख कारण होता है. रेल में होने वाले त्रुटि को अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग के माध्यम से खोजा जा सकता है. इसलिए अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग ट्रेन संचलन के लिए एक महत्वपूर्ण भाग है. कहा कि दिन-प्रतिदिन ट्रेनों की गति बढ़ने के साथ ही रेल वेल्ड की उपयोगिता भी काफी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि मण्डल के अधिकारी एवं पर्यवेक्षक इस तकनीकी संगोष्ठी से सीखें एवं नियमित अंतराल पर मण्डलों में भी तकनीकी संगोष्ठी का आयोजन करें, जिससे संरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रमुख मुख्य संरक्षा इंजीनियर मुकेश मेहरोत्रा ने कहा कि ट्रेन संचलन के संरक्षा में 95 प्रतिशत योगदान रेल पथ का होता है तो ये कोई अतिशयोक्ति नहीं है. इस अवसर पर मुख्य रेलपथ इं. रामजन्म, कैलाश सिंह, सुनील गुप्ता, एनके चौधरी सहित मुख्यालय व मण्डल के वरिष्ठ रेल अधिकारी एवं पर्यवेक्षक उपस्थित थे.
जमीन अधिग्रहण में आपत्तियों के लिए 60 दिन का समय
खलीलाबाद-बहराइच नई रेललाइन के लिए संतकबीरनगर में पड़ने वाली जमीन का सामाजिक निर्धारण अध्ययन पूरा हो चुका है. इसके पूरा होने के बाद आपत्तियों के लिए 60 दिन का समय दिया गया है. आपत्ति नहीं आने की स्थिति में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. एनई रेलवे ने भूमि अधिग्रहण के लिए संतकबीरनगर को 110 और सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन को 55 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है. पहले फेज में खलीलाबाद से बांसी तक लगभग 55 किमी रेललाइन बिछाई जानी है. इसके लिए रेलवे प्रशासन ने 82 गांव के 260 हेक्टेयर भूमि को चिह्नित कर संबंधित जिला प्रशासन को सौंप दिया है.