उत्तर प्रदेश

सीएचसी प्रभारी द्वारा झोलाछापों डॉक्टरों पर कार्रवाई के नाम पर केवल छापेमारी

Admin Delhi 1
12 Oct 2022 9:25 AM GMT
सीएचसी प्रभारी द्वारा झोलाछापों डॉक्टरों पर कार्रवाई के नाम पर केवल छापेमारी
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सरधना न्यूज़: क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या सैकड़ों में है। मगर कार्रवाई के नाम पर सीएचसी प्रभारी द्वारा केवल छापेमारी की जाती है। इससे आगे की कार्रवाई कभी नहीं होती है। मुट्ठी गर्म होने के बाद इन झोलाछापों को आशीर्वाद भी मिल जाता है और बेखौफ होकर क्लीनिक भी खुलते हैं। अब दिवाली नजदीक आते ही छापेमारी का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। जो मान गया ठीक है, वरना गीदड़ पर्चा दिखाकर कार्रवाई की धमकी दी जा रही है। यह बात और है कि कार्रवाई आज तक किसी पर नहीं हुई। दौराला रोड पर एक क्लीनिक पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चिकित्सक के यहां छापेमारी की। हालांकि क्लीनिक बंद मिला। जिसके बाद टीक यहां सील के नाम पर एक पर्चा चस्पा करके लौट आई। हैरत की बात यह है कि उसी से चंद कदम की दूरी पर बिना डिग्री वाले डॉक्टर के यहां टीम ने जाना जरूरी नहीं समझा। सरधना व देहात में सैकड़ों की संख्या झोलाछाप डॉक्टर जाल बिछाए हुए हैं। हर गली मोहल्ले में एक झोलाछाप डॉक्टर की क्लीनिक मिल जाएगा। मगर यह क्लीनिक ऐसे ही नहीं चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आशीर्वाद के बाद ही झोलाछाप अपना धंधा चला रहे हैं। इन पर छापेमारी तो होती है, लेकिन साल में एक दो बार। उसमें भी छापेमारी से आगे कार्रवाई आगे कभी नहीं बढ़ती।

दो दिन बाद यह क्लीनिक फिर से खुले मिलते हैं। वह भी तब, जब प्रसाद चढ़ा दिया जाता है। खासतौर पर होली-दिवाली जैसे मौकों पर छापेमारी का रिवाज चलता है। अब दिवाली नजदीक आते ही छापेमारी का सिलसिला शुरू हो गया है। कहने को इसके लिए अलग से एसीएमओ की तैनाती होती है। मगर सरधना में कुछ ओर ही चल रहा है। मंगलवार को सरधना सीएचसी की टीम ने दौराला रोड पर एक क्लीनिक पर छापा मारा। मगर क्लीनिक बंद मिला। टीम ने क्लीनिक को सील करने की बात कहते हुए एक नोटिस नाम का पर्चा चस्पा कर दिया। जिस पर कोई सरकारी पत्रांक संख्या या अन्य जरूरी सूचना उपलब्ध नहीं थी। इसके बाद कालंद चुंगी पर एक लैब पर छापा मारा गया। यहां भी इस तरह का पर्चा थमा दिया गया। अन्य कई स्थानों पर यही कार्रवाई हुई। इसके बाद टीम वापस लौट आई। जाहिर सी बात है कि हर बार की तरह इस बार भी इससे आगे कार्रवाई होनी नहीं है। क्योंकि पिछले कुछ सालों की बात करें तो यही होता आ रहा है। छापा लगता है, दो दिन क्लीनिक बंद, तीसरे दिन बेखौफ होकर धंधा शुरू हो जाता है। इस संबंध में सीएचसी प्रभारी डा. सचिन कुमार का कहना है कि चिकित्सक को पहले नोटिस जारी किए जा चुके हैं। आज यह कार्रवाई की गई है।

नोटिस से पत्रांक संख्या गायब: जिस नोटिस के बल पर सीएचसी प्रभारी कार्रवाई की बात कह रहे हैं। उस पर कोई पत्रांक संख्या तक दर्ज नहीं है। यानी किसी सरकारी रिकॉर्ड में यह लिखित दर्ज ही नहीं किया गया है कि कार्रवाई किस पर और क्यों की गई है। इस तरह इस कार्रवाई भी सवाल उठने लाजमी हैं।

बराबर वाले पर करम: जिस क्लीनिक पर छापा मारा गया, यहां बैठने वाले चिकित्सक ने खुद को बीएएमएस हॉल्टर लिख रखा है। यानी किसी भी रूप में वह एक डिग्री लिए बैठा है। अब हैरत की बात यह है कि इस क्लीनिक से चंद कदम पहले एक और क्लीनिक पड़ता है। जहां मरीजों को ड्रिप तक चढ़ाई जा रही है। इस क्लीनिक पर टीम जाने की जरूरत नहीं समझती है। इस तरह टीक की कार्यशैली पर सवार उठते हैं।

छापे से आगे नहीं बढ़ती कार्रवाई: सरधना में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई कभी भी छापे से आगे नहीं बढ़ती है। क्षेत्र में शायद की कोई डिग्री धारक या झोलाछाप क्लीनिक बचा होगा, जिस पर छापा नहीं लगा है। मगर आज तक किसी पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। दो दिन बाद यह क्लीनिक खुल जाते हैं। सबसे अधिक चर्चाओं में रहे प्रिया अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भी यही हुआ था। तमाम खामिया निकाल कर कई दिन तक के लिए उसे सील रखा गया। कुछ दिन बाद मामला ठंडा होने पर उसी हालत में सेंटर शुरू हो गया था। उसी की बराबर में एक नर्सिंग होम के साथ भी यही हुआ था। मगर जिले के अधिकारी इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं हैं।

छापे के लिए एसीएमओ होता है नियुक्त: झोलाछाप क्लीनिक पर कार्रवाई के लिए एसीएमओ अलग से नियुक्त होता है। जिसका काम ऐसे क्लीनिक पर कार्रवाई करना होता है। सीएचसी प्रभारी अधिक से अधिक शिकायत मिलने पर क्लीनिक को चिंहित करके कार्रवाई की संस्तुति करता है। मगर सरधना में कुछ ओर ही हो रहा है।

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