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सीटों के चक्रानुक्रम आरक्षण पर भी उठे सवाल, कुछ बड़े शहरों में मेयर आरक्षण की स्थिति
लखनऊ न्यूज़: यूपी में निकाय चुनाव में सीटों के आरक्षण में चक्रानुक्रम व्यवस्था लागू है. इसके मुताबिक एक वर्ग को बार-बार आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है, लेकिन मेयर और अध्यक्ष की सीटों में पिछड़ा वर्ग आयोग ने इन खामियों की तरफ भी इशारा किया है. इसमें यह सवाल उठाया गया है कि कुछ चुनावों को छोड़ दिया जाए तो बार-बार कैसे सीटें अनारक्षित होती रही. आयोग की इस टिप्पणी के बाद अब शासन स्तर पर इन खामियों की वजह तलाशी जा रही है.
यूपी में मेयर की मौजूदा समय 17, नगर पालिका अध्यक्ष की 200 और नगर पंचायत अध्यक्ष की 545 सीटें हैं. सूत्रों का कहना है कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने सर्वे और अध्ययन में पाया है कि मेयर व अध्यक्ष की सीटों में चक्रानुक्रम व्यवस्था का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया. चक्रानुक्रम व्यवस्था के मुताबिक अनुसूचित जनजाति महिला, अनुसूचित जनजाति, एससी महिला, एससी, ओबीसी महिला, ओबीसी, माहिला व अनारक्षित वर्ग के लिए सीटें आरक्षित होंगी. वरीयताक्रम खत्म होने के बाद पुन वही चक्र फिर से चलेगा, लेकिन सर्वे में इसका पूरी तरह से पालन होते नहीं पाया गया है. इस संबंध में कुछ अफसरों पर कार्रवाई भी हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट में पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट दाखिल
राज्य सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों की हिस्सेदारी तय करने के लिए आयोग की रिपोर्ट और सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी है. सुप्रीम कोर्ट को अब इस पर सुनवाई करनी है. वहां से अनुमति मिलने के बाद मेयर व अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण के लिए तय प्रक्रिया में संशोधन करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. एक अधिकारी के मुताबिक इसमें सुनवाई के लिए तारीख देने का अनुरोध किया गया है.