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कानपूर न्यूज़: गरीबी का दंश क्या होता है, कोई उस व्यक्ति से पूछे जिसके सामने जान देने की नौबत आ गई. हद तो यह कि उसने जान देने से पहले एक ऐसी तमन्ना जताई, जिसके बारे में जानकर हर किसी की आंख नम हो जाएगी.
राजेंद्रपुरम, नौबस्ता में रहने वाले सूर्य नारायन पाठक (42) की कहानी कुछ ऐसी ही है. उन्होंने को फांसी लगाकर जान दे दी. पीछे पत्नी श्वेता और बेटी निहारिका (12) को छोड़ गए हैं. इनकी कहानी सिर्फ इतनी सी नहीं है. जान देने से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें उन्होंने बताया है कि आर्थिक तंगी से लड़ पाने में खुद को लाचार पा रहा हूं. साथ ही मौत के लिए खुद को जिम्मेदार बताया. इसी नोट में उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जताई. उन्होंने लिखा कि जब उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाए तो जेब में सौ रुपये का नोट रख दें. आगे लिखा कि उम्र भर गरीबी से लड़ता रहा लेकिन अंतिम समय में सौ रुपये का नोट लेकर जाऊंगा तो सुकून रहेगा कि खाली जेब दुनिया से विदा नहीं ली. चचेरे भाई संजीव पाठक ने बताया सूर्य नारायन ऑटो चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. किसी को मौत का जिम्मेदार नहीं बताया है. थाना प्रभारी ने बताया कि शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है.