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वाराणसी: केंद्र की सत्ता पर कायम रहने के लिए सियासत में उत्तर प्रदेश खास कर पूर्वांचल की भी खास अहमियत है। भाजपा ने पूर्वांचल के साथ प्रदेश में दमदार उपस्थिति के साथ सत्ता पाने के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव से ही मिशन मोड में सियासी पत्ते बिछाने के साथ धुआंधार रैलियां, जनसम्पर्क और रोडशो किया था। इसका सुखद परिणाम भी पार्टी को मिला। लगभग एक दशक से पार्टी केंद्र की राजनीति में काबिज है।
केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा मिशन 2024 के लोकसभा चुनाव को देख चुनाव प्रचार में कुछ इसी तरीके से फिर गाजीपुर से शुरुआत कर रही है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने कार्यकाल के विस्तार के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ शुक्रवार को गाजीपुर के आईटीआई मैदान में जनसभा कर पार्टी के तूफानी चुनाव प्रचार का शंखनाद कर रहे हैं। पिछले चुनावी नतीजे देखें तो गाजीपुर सीट भाजपा के लिए टेढ़ी खीर ही रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सियासी चुनौती को स्वीकार कर पार्टी के जीत के लिए काफी परिश्रम किया था। प्रधानमंत्री बनने से पहले वह लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान मतदान के ठीक दो दिन पूर्व रौजा स्थित गोशाला के मैदान में आए थे और उस समय के भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा के लिए जनसभा में समर्थन मांगा था। मनोज सिन्हा ने गाजीपुर लोकसभा सीट से 1996, 1999 और 2014 के चुनाव में जीत दर्ज की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गाजीपुर के आरटीआई मैदान में जनसभा को संबोधित किया था, लेकिन चुनाव परिणाम आशा के अनुकूल नहीं आया। बसपा के अफजाल अंसारी ने भाजपा उम्मीदवार मनोज सिन्हा को शिकस्त दे दी। मनोज सिन्हा तब केंद्र में मंत्री थे। उस चुनाव में बसपा का सपा से गठबंधन भी रहा। चुनाव में विकास बनाम विनाश का नारा भी खूब उछला था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में भी भाजपा के तमाम प्रयासों के बावजूद गाजीपुर की सभी सात सीटों पर सपा गठबंधन ने क्लीन स्वीप करते हुए बड़ी जीत दर्ज की। सपा ने पांच और सुभासपा ने दो सीटों पर जीत का परचम लहराया था। जिले के इतिहास में पहली बार सपा-सुभासपा गठबंधन ने भाजपा गठबंधन को हराकर सातों सीटों पर जीत हासिल की थी।