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लखनऊ न्यूज़: उत्तर प्रदेश में इस बार सरकारी समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीद निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे रही. प्रदेश सरकार ने इस बार पहली अप्रैल से हुई सरकारी समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति कुंतल की दर से गेहूं की खरीद करवाने की व्यवस्था की थी. लक्ष्य तय हुआ था कि इस बार खाद्य विभाग, पीसीएफ आदि सरकारी एजेंसियां 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदेंगी. अब यूपी को अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने को पंजाब, हरियाणा व म.प्र. से गेहूं मंगवाना पड़ेगा.
इन ढाई महीनों में महज 2 लाख 19 हजार 725 मीट्रिक टन गेहूं ही यह सरकारी एजेंसियां खरीद पाईं. लक्ष्य के मुकाबले इतनी कम खरीद के पीछे सबसे प्रमुख कारण-सरकारी समर्थन मूल्य के मुकाबले बाजार में किसानों को गेहूं का अच्छा भाव मिलना बताया गया. भारतीय किसान यूनियन अराजनीतिक के प्रदेश अध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा का कहना है कि आढ़तियों, आटा मिल मालिकों और मल्टीनेश्नल कंपनियों ने सीधे खेत से किसानों का गेहूं उठाया और इस तरह से किसानों का ढुलाई भाड़ा बचा. लखनऊ के प्रमुख कारोबारी राजेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि खुले बाजार में गेहूं के सबसे कम खुदरा दाम 2250 से लेकर 2650 रुपये प्रति कुंतल के चल रहे हैं. गौरतलब है कि यूपी में कोटे की दुकानों से बांटने के लिए हर माह 3.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं जरूरत पड़ती है.
लखनऊ में दो फीसदी से कम खरीदलखनऊ में 44 क्रय केन्द्रों से लक्ष्य का मात्र 1.94 प्रतिशत गेहूं ही खरीदा जा सका. जोकि अब तक गेहूं खरीद का सबसे न्यूनतम स्तर है. जबकि बीते वर्ष लक्ष्य का 5.68 फीसदी गेहूं ही खरीदा गया था.
किसानों को फ्लोर मिलर, आढ़तियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने 2200 से लेकर 2300 रुपये प्रति कुंतल का भाव दिया. इसके अलावा कुछ बड़े किसानों ने गेहूं दबा भी लिया. इससे खरीद कम हुई.
राजीव मिश्र , एडीशन कमिश्नर खाद्य