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हस्तिनापुर न्यूज़: किसान नेताओं व जनप्रतिनिधियों ने हादसे पर सरकार को दोषी ठहराया। पूर्व विधायक सपा नेता योगेश वर्मा व मोनू पंवार प्रदेश सचिव भाकियू ने कहा कि टूटे पुल से न तो कोई आवागमन की व्यवस्था थी और न सरकार की तरफ से कोई सुरक्षा या सहायता बनी दुर्घटना की मुख्य कड़ी। वहीं, सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह, जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र गुर्जर, विपिन मनोठिया, दीपक गिरी का एक प्रतिनिधिमंडल घटनास्थल पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को सांत्वना दें प्रशासन को कहा, जल्द से जल्द डूबे व्यक्तियों को जल्द बरामद किया जाए और पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए।
आश्वासन के लिए मौके पर पहुंचे मंत्री: राज्यमंत्री दिनेश खटीक मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। राज्य मंत्री ने मौके पर उपस्थित ग्रामीणों को मुख्यमंत्री योगाी आदित्यानाथ से मिलकर मेरठ-चांदपुर सीमा को जोड़ने के लिए बनाये जा रहे पुल की अप्रोच रोड को दुरुस्त करने का आश्वासन दिया।
नाव पलटने के पांच मिनट बाद सबकुछ हो गया खत्म: नाव हादसे में नाव चलाने वाली लकड़ी के सहारे सोहनपाल व लिकनपाल सुरक्षित निकलने के बाद भगवान को याद करते हैं कि वे बचकर निकल गये। दोनों पहले व्यक्ति हैं, जब नाव डूबने लगी तो तैरना नहीं जानते हुए भी बाहर निकल गए। अध्यापक अमरीश, अरुण और देवेंद्र का कहना हैं कि यह हादसा 7 बजकर 15 मिनट के आसपास हुआ है। नाव की क्षमता दर्जन भर से अधिक नहीं थी, लेकिन जबरन लोग को बाइक से साथ नाव पर चढ़ने लगे। कुछ ही दूर चलने के बाद नाव डगमगाने लगी और अफरा-तफरी मच गई। जिससे नाव पुल के पिलर से टकराई और दो हिस्सों में टूट गई। जिसके बाद सभी लोग गंगा में समा गये।
नाव के सहारे जाने को मजबूर हैं मजदूर और किसान:तीन महीने पूर्व गंगा में आई बाढ़ के दौरान एप्रोच रोड धराशाई हो गई। समय बीतता गया, लेकिन आज भी अप्रोच रोड का कार्य अधर में लटका है। जिसके चलते नाव से प्रतिदिन बड़ी संख्या में किसान क्षेत्र में जमीन पर काम करने या फिर मजदूर घास काटने जाते हैं और यह सिलसिला सालों से चलता आ रहा है। बिजनौर जनपद में सरकारी पदों पर कार्य करने वाले लोगों भी प्रतिदिन जान जोखिम में डालकर मंजिल तक पहुंचते है।
उन्हें सुरक्षित डेंगी से लेकर र्इंधन वाली नाव का ही सहारा लेना पड़ता है। इन नावों पर हमेशा क्षमता से अधिक लोग सवार होते हैं। आजतक प्रशासन ने इस संबंध में कोई कारगर उपाय नहीं किए जिस कारण गंगा नदी में कई बार इस तरह के हादसे हो चुके हैं। हादसे के दौरान बधवा खेड़ी निवासी 55 वर्षीय रविंद्रा पत्नी धर्मचंद्र भी गंगा के भंवर में फंसकर डूबने लगी, लेकिन उनके हाथ गंगा में पानी में बहकर आ रही कोल्ड ड्रिंक की एक बोतल हाथ लग गई। जिसके सहारे उन्होंने जीवन की नैया को नदी किनारे लगाई।
नहीं जानते थे अधिकांश लोग तैरना: लोगों की माने तो नाव में दो दर्जन लोग सवार थे। किसी ने सोचा नहीं था कि आज उन्हें गंगा के दूसरे छोर तक जाने के लिए जान दांव पर लगानी पड़ेगी। लोग ने नाव में सवार कई लोगों सरकारी कर्मचारी थे जो बमुश्किल तैरना जानते थे, लेकिन जान पर बनी तो बचानी तो थी किसी ने नाव को चलाने वाली लकड़ी का सहारा लिया तो किसी ने अन्य चीजों का जिसके बाद लगभग एक दर्जन से भी अधिक लोगों ने अपनी जान बचा ली।
कई लोग पहले भी गवां चुके हैं जान: यह कोई पहला हादसा नहीं है। जब नाव में सवार लोगों ने जान गवाई है। गत एक जनवरी 2013 को हस्तिनापुर निवासी एक परिवार गंगा की गोद में समा गया था। लोगों ने बमुश्किल परिवार के कई सदस्यों को सकुशल बाहर निकाल लिया था, लेकिन हादसे के दौरान 18 वर्षीय एक युवती गंगा में डूब गई थी। अप्रैल 2017 में खेड़ी घाट के समीप एक छोर से एक छोर से दूसरे जाते समय खेड़ीकलां निवासी युवक गंगा में डूब गया था, लेकिन प्रशासन ने इन हादसों से कोई सबक नहीं लिया।
दर्जनों जिंदगी सुरक्षित, बाकी की तलाश जारी: नाव अनियंत्रित हो गई नाव में सवार करीब आधा दर्जन लोगों में हड़कंप मच गया। नाव में बैठे करीब डेढ़ दर्जन लोगों की चीख-पुकार सुनकर गंगा पार और आसपास के लोग मदद के लिए गंगा किनारे दौड़े। जिन्होंने आनन-फानन में दूसरे स्टैमर से करीब आधा दर्जन लोगों को सुरक्षित बचा लिया। वहीं, आधा दर्जन लोग तैर कर इधर-उधर गंगा किनारों पर पहुंच गए। मौके पर डीएम दीपक मीणा, एसएसपी रोहित सिंह सजवाण, एसपी देहात केशव कुमार, एडीएम पंकज वर्मा, एसडीएम अखिलेश यादव, तहसीलदार आकांक्षा जोशी, सहित दर्जनों शासन प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की सूचना लखनऊ तक पहुंच गई। दर्जनों अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे उसके करीब दो घंटे बाद पीएसी की फ्लड कंपनी और करीब चार घंटे बाद एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। इसके बाद गंगा में सर्च आॅपरेशन चलाया गया, परंतु शाम तक गंगा में डूबे लोगों का कुछ पता नहीं लग सका।
डीजल इंजन से चला रहे थे मोटर बोट: 2007 में मेरठ-चांदपुर सीमा को जोड़ने के लिए भीमंकुड गंगा के समीप गंगा पर पुल निर्माण शुरू हुआ। जिसका कार्य 97 फीसदी पूरा होने के बाद भी पुल आज तक आवागमन के लिए सुचारू नहीं हो सका। लोग डीजल इंजन चालित नाव की व्यवस्था कराई गई थी।
अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया मृत: दर्जन भर लोगों को पानी से बाहर निकाल कर चिकित्सकों द्वारा उपचार कराया जा रहा है। जबकि तीन की स्थिति गंभीर होने के कारण सामुदायिक स्वास्थ केंद्र हस्तिनापुर में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों जांच के बाद एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया है, जबकि एक व्यक्ति की हालत गंभीर होने के कारण उसे प्राथमिक उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया है।
कौन हैं मृतक?
अभी करीब 5 से 6 लोग लापता हैं। मृतकों में 32 वर्षीय मोनू शर्मा पुत्र अनिल व 45 वर्षीय अध्यापक महेश चंद पुत्र बलवंत शामिल हैं। जबकि नाव में सवार कई लोगों की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है। पीएसी और एनडीआरएफ के गोताखोरों द्वारा डूबे लोगों की खोजबीन की जा रहा है।
डूबते को तिनके का सहारा बना पुलिस-प्रशासन: बचपन से लेकर बड़ों एवं छोटे बच्चों ने किताबों से लेकर कहानियों में इस शब्द को पढ़ा एवं सुना होगा कि डूबते को तिनके का सहारा। इसके मायने मुसीबत में थोड़ी सहायता काफी होती है। कहते हैं दोस्तों जब कोई मुसीबत में पड़ जाता है तो वह सोचता है कि कास मुझे एक सहारा मिल जाए। ऐसा ही मंगलवार सुबह हस्तिनापुर के भीकुंड गंगा पर देखने को मिला। स्थानीय प्रशासन के स्तर पर चलाई जा रही नाव की आड़ में अन्य नाव स्वामी भी सुबह करीब साढ़े सात बजे प्रतिदिन की भांति बेअनुभवी केवट बंटी समय से पहले पहुंचा और तट पार करने की इंतजार में खड़े शिक्षक एवं अन्य यात्री दोपहिया वाहनों को लेकर नाव में सवार हो गये। गंगा में डूबे कुछ लोगों ने नाव में रखे खाद के कट्टे, नाव चलाने वाला चापू एवं अन्य भारी सामान का सहारा लेकर तैरते हुए आगे बढ़ गये।
इस दौरान डीएम दीपक मीणा एवं कप्तान रोहित सिंह सजवाण ने सख्ती से कार्रवाई करते हुए सभी को सुरक्षित कर करीब 10 परिवारों का चराग बुझने से बचा लिया। डीएम दीपक मीणा ने कहा कि हादसा बड़ा हो सकता था, लेकिन ईश्वर की कृपा से चमत्कार में बदल गया।