उत्तर प्रदेश

प्रोजेक्ट नमामि गंगे को अफसर ही लगा रहे पलीता, हवा में उड़ा रहे नियमों की धज्जियां

Admin Delhi 1
1 Dec 2022 8:20 AM GMT
प्रोजेक्ट नमामि गंगे को अफसर ही लगा रहे पलीता, हवा में उड़ा रहे नियमों की धज्जियां
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हस्तिनापुर न्यूज़: विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे की धज्जियां उड़ा रहे हैं। खनन करने वालों को न ही नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की परवाह है और न ही गंगा में चलाई जा रही अति महत्वपूर्ण योजनाओं की परवाह है तो फुल मरम्मत के नाम पर गंगा से अवैध खनन से जहां महत्वपूर्ण योजनाओं का पलीता लग रहा है। वहीं, सरकारी खजाने को भी खुलेआम चूना लगाया जा रहा है। जानकारी के बाद भी तमाम आला अधिकारी मौन है। बता दें कि मेरठ, बिजनौर, मुरादाबाद जिलों की सीमा से जुड़े सैकड़ों गांव की दूरी कम करने के लिए 2007 में बसपा सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर गंगा पुल का निर्माण शुरू किया। पुल पर आवागमन शुरू करने के लिए पुल के दोनों तरफ लोक निर्माण विभाग द्वारा एप्रोच रोड का निर्माण भी शुरू किया गया। सड़क में मापदंडों व नियम कायदों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है।

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमा रहे हैं। सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने की है। सड़क बनाने में घटिया मेटेरियल का उपयोग हुआ है, जो सड़क की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है। लगभग एक सप्ताह पूर्व गंगा की एप्रोच रोड को दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया गया। विभागीय अनदेखी के चलते इस बार पहले से भी अधिक निर्माण में अनियमितताएं बरती जा रही है। वन विभाग की मिलीभगत के चलते एप्रोच रोड दुरुस्त करने के लिए गंगा का सीना छलनी किया जा रहा है। वहीं, मिट्टी की जगह बालू रेत का खुलेआम प्रयोग हो रहा है। जानकारी में होने के बाद भी विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

गंगा में चल रही कई महत्वपूर्ण योजनाएं: वन विभाग के अधिकारी एप्रोच रोड निर्माण के नाम पर गंगा में हो रहे अवैध खनन पर चुप्पी साधे हैं। यह हाल तब है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे योजना के साथ गंगा को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए घड़ियाल परियोजना के साथ कछुआ परियोजना भी गंगा नदी में चलाई जा रही है। खनन के खले से कछुआ और घड़ियाल परियोजना का पलीता लग रहा है।

वहीं, विश्व प्रकृति निधि के नियमों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। विशेषज्ञों की माने तो इस समय कछुए की प्रजनन क्रिया का समय चल रहा ह। कछुऐं गंगा किनारे रेंत में अपने अंडे देते हैं। गंगा में हो रहे इस खनन से कछुए की प्रजनन क्रिया भी बाधित मानी जा रही है।

क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी: गंगा में हो रहे अवैध खनन पर विभागीय अधिकारियों के बयान हास्यपद है। रेंज अधिकारी नवरत्न का कहना है कि पुल की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। गंगा से हो रहे खनन की जानकारी उन्हें नहीं है, यदि खनन किया जा रहा है तो कार्रवाई की जाएगी। जिला वन अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। संज्ञान में आने के बाद रेंज अधिकारियों को कार्रवाई के दिशा निर्देश दिए गए हैं। जल्दी ही गंगा से खनन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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