उत्तर प्रदेश

कुत्तों का गलत चयन व जगह की कमी से खड़ी हो रही समस्या

Rani Sahu
5 March 2023 6:55 AM GMT
कुत्तों का गलत चयन व जगह की कमी से खड़ी हो रही समस्या
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लखनऊ,(आईएएनएस)| कुत्ते जानलेवा और खतरनाक हो सकते हैं। शहर में जुलाई 2020 में 80 वर्षीय एक महिला को उसके तीन वर्षीय पालतू पिटबुल ने मार डाला। इस घटना की विडंबना यह है कि महिला के बेटे को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उसका कुत्ता ब्राउनी उसकी मां को मार सकता था। नगर निगम के अधिकारी पिटबुल को एक सप्ताह के लिए आश्रय स्थल में ले गए और पड़ोसियों के विरोध के बावजूद फिर उसे उसके मालिक को लौटा दिया।
इस घटना के बाद, देश भर से कई अन्य घटनाओं की सूचना मिली, जहां पिटबुल ने लोगों पर घातक हमला किया था।
पिटबुल टेरियर वर्षों से विवाद का विषय रहा है। यह नस्ल कनाडा और यूनाइटेड किंगडम में प्रतिबंधित है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, पोलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे में पिटबुल के पालने पर सख्त दिशानिर्देश है।
खतरनाक श्रेणी में सूचीबद्ध कुत्तों में पिटबुल टेरियर, रॉटवीलर, साइबेरियन हस्की और मालाम्यूट, वुल्फ हाइब्रिड और डोबर्मन पिंसर शामिल हैं।
पशु चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि लोग उच्च नस्ल के कुत्तों को पालते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह एक प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
एक पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा, रहने की जगह कम हो रही है और पिटबुल और डोबर्मन जैसे कुत्तों को पर्याप्त व्यायाम और चलने-फिरने की स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है। उनके मालिक उन्हें पर्याप्त भोजन देते हैं, लेकिन पर्याप्त व्यायाम नहीं करते हैं, जो या तो उन्हें सुस्त बना देता है या हिंसक।
हालांकि एक प्रजाति के रूप में कुत्तों को सामाजिक माना जाता है, कई कारक एक अपरिचित कुत्ते के प्रति कुत्ते की आक्रामक प्रतिक्रिया में योगदान देते हैं।
उदाहरण के लिए, कुछ कुत्ते समाजीकरण की अवधि के दौरान सामाजिक होने से चूक जाते हैं, जो 14 सप्ताह की आयु तक समाप्त हो जाती है। इससे जब नए कुत्तों से सामना होता है, तो कुछ कुत्ते आक्रामक व्यवहार करते हैं।
जब योजना के अनुसार समाजीकरण नहीं होता है, तो एक पिल्ला अप्रत्याशित रूप से दूसरे कुत्ते से डर जाता है और यह डर बाद में चलकर आक्रामक व्यवहार में बदल जाता है।
अनुवांशिक और प्रारंभिक पर्यावरणीय कारक कुत्तों के व्यवहार को तय करते हैं।
एक कुत्ते में विकसित होने वाली आक्रामकता हताशा में निहित होती है।
पेटा की राधिका सूर्यवंशी ने कहा कि लोगों को पग जैसी दुर्बल विकृति वाले कुत्तों को खरीदना भी बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा, हम सभी जानते हैं कि पग ऐसे दिखते हैं, जैसे वे सांस नहीं ले सकते हैं। वे अपनी जीभ बाहर लटकाते हुए हांफते रहते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें वास्तव में सांस लेने में कठिनाई होती है।
पग, फ्रेंच बुलडॉग, अंग्रेजी बुलडॉग, पग, पेकिंगीज, बोस्टन टेरियर्स, बॉक्सर्स, कैवेलियर किंग चार्ल्स स्पैनियल्स, और शिह त्जस जैसी अन्य श्वास-बाधित नस्लें एक दुर्बल करने वाली और कभी-कभी घातक स्थिति से पीड़ित होती है,ं जिसे ब्रेकीसेफलिक सिंड्रोम कहा जाता है।
यह इन्हें टहलना, गेंद का पीछा करना, दौड़ना और खेलना भी मुश्किल बना सकता है।
पेटा इंडिया ने चेतावनी दी है कि ज्यादातर पालतू जानवर की दुकानें और ब्रीडर अवैध हैं, क्योंकि वे राज्य पशु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं हैं। वे आम तौर पर कुत्तों को उचित पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, व्यायाम, स्नेह और समाजीकरण के अवसरों से वंचित करते हैं।
इसके अलावा, पालतू कुत्तों को छोड़ने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।
अपने मालिकों द्वारा छोड़े गए दो पगों को गोद लेने वाले एक कुत्ता प्रेम ने कहा, देखभाल के अभाव में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग अपने कुत्तों को छोड़ देते हैं। ऐसे कुत्तों को अभाव का सामना करना पड़ता है और वे आक्रामक हो जाते हैं।
--आईएएनएस
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