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बस्ती न्यूज़: अनाधिकृत रूप से एक निजी अस्पताल द्वारा कोविड मरीज का इलाज किए जाने का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक गम्भीर मरीज के कोविड पॉजिटिव होने की पुष्टि के बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करने की व्यवस्था की गई थी.
निजी अस्पताल ने मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया और अपने यहां ही रखकर इलाज किया. प्रभारी सीएमओ डॉ. एफ हुसैन का कहना है कि कोई भी निजी अस्पताल कोविड के इलाज के लिए अधिकृत नहीं है. मरीज की सूचना मिलने पर उसे फैसिलिटी एलॉट करने के साथ ही आरआरटी को भेजा गया था. मरीज के परिजनों ने उसे सरकारी अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया था. कोविड मरीज को अनाधिकृत रूप से अपने यहां रखने के मामले में निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. शहर के कम्पनी बाग स्थित एक रेस्टोरेंट का कर्मचारी 15 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव मिला था. मरीज को सांस फूलने की शिकायत पर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल की सलाह पर परिजनों ने मरीज की पीएचसी सल्टौआ में एंटीजन जांच कराई तो वह पॉजिटिव मिला. मरीज की दशा को देखते हुए पीएचसी स्टॉफ ने इसकी सूचना सीएमओ कार्यालय को दी तथा कोविड अस्पताल में भर्ती कराने को कहा था.
सरकारी अस्पतालों में चाकचौबंद व्यवस्था का दावा कोविड की दूसरी लहर में सर्वाधिक जनहानि के बाद हरकत में आए स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराने के साथ ही बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन कंसनट्रेटर व सिलेंडर की व्यवस्था कराई गई है. ओपेक अस्पताल कैली को कोविड का एल-टू अस्पताल बनाने के साथ ही चार सीएचसी को कोविड का एल-वन अस्पताल बनाया गया है. अस्पताल की व्यवस्था को परखने के लिए समय-समय पर मॉकड्रिल का आयोजन किया जाता रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोविड अस्पतालों की व्यवस्था चाक चौबंद होने का दावा किया जाता रहा है. कोविड की दूसरी लहर में दो निजी अस्पतालों को एल-टू अस्पताल बनाया गया था. इस बार किसी निजी अस्पताल को अधिकृत नहीं किया गया है.