उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट का आदेश जमानत मिलते ही जेल में नहीं रहेंगे बंदी

Shreya
25 July 2023 4:16 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट का आदेश जमानत मिलते ही जेल में नहीं रहेंगे बंदी
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मुरादाबाद । जमानत मिलने के बाद अब कोई भी बंदी जेल में निरुद्ध नहीं रहेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से पारित एक आदेश के उपरांत मुरादाबाद जिला कारागार प्रशासन सक्रिय हो गया है। मुरादाबाद जिला कारागार में वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीपी सिंह कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए 31 बंदियों को जेल से रिहा कर चुके हैं। इधर, जुलाई में भी 22 बंदियों को निजी मुचलके पर ही जेल से रिहा करने की तैयारी है।

सीनियर जेल सुप्रिडेंट पीपी सिंह ने बताया कि जेल में निरुद्ध बंदियों को यदि कोर्ट से जमानत पर रिहा होने की अनुमति मिल जाती है और वह जमानतदार के नहीं मिलने से जेल में ही निरुद्ध रहते हैं। इस तरह के नियमों में अब बदलाव हो गया है। पीपी सिंह ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ बंदियों को मिल रहा है। साथ जेल की व्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। कोर्ट ने बंदियों को विकल्प दिया है। जमानत भरने के लिए बंदियों को एक माह का मौका देकर जेल से रिहा किया जा रहा है। यदि वह जमानत नहीं भरवा पाते हैं तो उन्हें दोबारा फिर जेल में आना पड़ेगा।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने आगे बताया कि बंदियों को संबंधित कोर्ट बेल ऑर्डर (जमानत आदेश) की एक प्रति अविलंब जेल को कोर्ट से मेल पर आ जाती है। इसके बाद उसके बारे में संबंधित बंदी को जेल अधिकारी सूचित करते हैं। फिर बंदी को अधिकतम सात दिन के अंदर जेल से रिहा किया जाता है। लेकिन जमानतदार न मिलने की बाधा में जब बंदी की रिहाई अटकती है तो उस स्थिति में इसकी सूचना जेल अधीक्षक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव को देते हैं। इसके बाद विधिक सेवा प्राधिकरण प्रकरण को कोर्ट से अवगत कराती है और प्रक्रिया पूरी करने के बाद बंदी को निजी मुचलके (अंतरिम जमानत) पर छोड़ने की अनुमति प्राप्त होती है।

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि संबंधित बंदी की जमानत संबंधी आदेश कब हुआ और उसकी रिहाई किस तिथि में हुई, इसका विवरण भी कंप्यूटर साफ्टवेयर पर अंकित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोर्ट से बंदी के लिए जमानत की शर्तों और निर्धारित जमानत राशि में ढील देने के लिए भी कोर्ट के निर्देश हैं। इसके आधार पर बंदी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाने का काम विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी करते हैं। फिर संबंधित रिपोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव तैयार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।

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