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रिपोर्ट- राहुल भट्ट
कौशांबी, यूपी: जिला जेल में निरुद्ध बंदी की मौत संदिग्ध हालत में होने का मामला शनिवार की रात सामने आया है। जिसके बाद जेल प्रशासन मृत बंदी की लाश को जिला अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां डॉक्टरों ने प्राइमरी जांच में बंदी को मृत घोषित कर दिया। जेल में बंदी की मौत पर जेल प्रशासन को कोई भी जिम्मेदार अधिकारी जानकारी देने से कतरा रहे है। वही जिला अस्पताल में जांच करने पहुँचे तहसीलदार से जब मीडिया ने बंदी की मौत के सवाल किया तो उन्होंने कहा कि आपको मुझसे सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है।
जिला जेल से मिली जानकारी के मुताबिक, करारी थाना क्षेत्र के नौबस्ता गांव के रहने वाले पिंटू ढाई महीने पहले दुष्कर्म के एक मामले में जेल में निरुद्ध किये गए थे। शनिवार की रात करीब आठ बजे बंदी पिंटू कैटीन के समीप पेड़ से लटकता हुआ मिला। जेल सुरक्षा में तैनात बंदी रक्षकों ने बंदी पिंटू का शव पेड़ मे लटकता देख अफसरों को जानकारी दिया। जिसके बाद पेड़ से पिंटू की लाश आनन फानन में उतार उसे जेल अस्पताल ले जाया गया। जहां जेल के अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने जांच किया तो उसकी पल्सर बीपी नहीं मिली।
जिसके बाद जेल कर्मचारी बंदी पिंटू के शव को लेकर जिला अस्पताल पहुँचे। जहां जिला अस्पताल के डाक्टर विवेक केसरवानी ने बंदी पिंटू की प्रारंभिक जांच की। जिसमे उसे मृत घोषित कर दिया गया। जेल के अंदर बंदी का शव पेड़ से लटकते मिलने पर जेल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। यही कारण है कि जिला जेल का कोई भी अधिकारी बंदी की मौत का कारण मीडिया को नहीं बता रहा है।
वही जिला जेल के डॉक्टर नरेश ने बताया कि, जब वह जेल के अस्पताल में थे तभी उन्हें सूचना मिली कि एक बंदी ने पेड़ से फांसी लगा ली है वह तुरंत मौके पर पहुंचे तो उसी पल्सर बीपी नहीं मिली जिसके बाद उसे जिला अस्पताल लाया गया जहां उसे मृत घोषित किया गया है। जेल में बंदी की मौत की सूचना मिलते ही मंझनपुर तहसील के तहसीलदार भूपेंद्र सिंह बतौर मजिस्ट्रेट जांच करने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। इस दौरान जब मीडिया ने बंदी की मौत का कारण पूछा तो वह मीडिया पर ही बरस पड़े। उन्होंने कहा कि मीडिया को कोई भी अधिकार नहीं है कि वह उनसे सवाल करें।
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