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उत्तर प्रदेश
बदहाल है प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था, मुख्यमंत्री बयानों से बन रहे हैं वीर : कांग्रेस
Shantanu Roy
3 Aug 2022 11:32 AM GMT

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बड़ी खबर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की गैर कांग्रेसी सरकारों में प्राथमिक शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता गया और प्राईवेट स्कूलों की भीड़ बढ़ती गयी। निजी विद्यालयों को सरकारी संरक्षण मिलता रहा और सरकारी विद्यालय भ्रष्टाचार एवं दुर्व्यवस्था के शिकार होतेे चले गये। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा ''वर्ष 2017 के पहले 70 फीसदी बच्चों के नंगे पैर स्कूल जाने'' की बात उनका बड़बोलापन है, और वह बयानों से वीर बनने का प्रयास कर रहें हैं। ये बातें कांग्रेस प्रवक्ता डा. उमा शंकर पांडेय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कही।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. उमा शंकर पाण्डेय ने कहा कि लखनऊ में शिक्षकों के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने तमाम बड़ी-बड़ी बातें की लेकिन जमीनी हकीकत उनके बयानों से भिन्न है। प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी है। आदर्श व्यवस्था के तहत एक शिक्षक के ऊपर 40 से अधिक बच्चों का बोझ नहीं होना चाहिए, बच्चों की संख्या 121 से 200 के बीच होने पर पांच शिक्षक बच्चों को पढ़ा सकते हैं, लेकिन शिक्षकों की व्यापक कमी के चलते यह महज एक सपना बनकर रह गया है। योगी सरकार में बीच-बीच में शिक्षा के बजट में व्यापक कटौतियां भी की। वर्ष 2020-21 के शिक्षा बजट में 191 करोड़ रूपये की बड़ी कटौती की गयी थी।
प्रवक्ता डा. उमा शंकर पाण्डेय ने कहा कि योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में प्राथमिक शिक्षा, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी है। जनपद मिर्जापुर के एक प्राथमिक सरकारी विद्यालय में मिड-डे मील के नाम पर बच्चों के नमक और रोटी खाने की खबर वॉयरल हुई थी। वहीं जनपद मुजफ्फरनगर में मीड-डे मील में मरा हुआ चूहा मिला था। जनपद सोनभद्र में एक लीटर दूध में बाल्टी भर पानी मिलाकर बच्चों को परोसने का मामले सामने आया। कई प्राईमरी स्कूल ऐसीे खबरों में छाये रहे जहां परिसर में गाय बंधी है अथवा कहीं चूड़ी की दुकान सजी हुई है। ऐसी सैकड़ों दुखद और शर्मनाक घटनायें समय-समय पर इस सरकार को आइना दिखाती रहीं हैं।

Shantanu Roy
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