उत्तर प्रदेश

यूपी सहित पूरे देश में मलेरिया रोधी पौधे की खेती कराने की तैयारी, किसानों को होगा फायदा, मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा

Renuka Sahu
14 July 2022 3:38 AM GMT
Preparations for the cultivation of anti-malarial plants in the entire country including UP, farmers will benefit, drafted and sent to the central government
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फाइल फोटो 

उत्तर प्रदेश सहित देशभर में मलेरिया रोधी पौधे आर्टिमिसिया की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग शुरू होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तर प्रदेश सहित देशभर में मलेरिया रोधी पौधे आर्टिमिसिया की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग शुरू होगी। इसके लिए कई कंपनियां आगे आई हैं। सीमैप ने आर्टिमिसिया की नई प्रजाति सीआईएम-संजीवनी के लिए चेन्नई की कंपनी से अनुबंध किया है। इससे एक तरफ मलेरिया की दवा बनाने के लिए विदेश से कच्चा माल नहीं मंगाना पड़ेगा तो दूसरी तरफ किसानों को भी फायदा मिलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए नई नीति का मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा है।

आर्टिमिसिया पौधे में आर्टीमिसनिन नामक तत्व पाया जाता है जिससे मलेरिया की दवा तैयार की जाती है। आर्टीमिसनिन मलेरिया फैलाने वाले रोगाणु प्लास्मोडियम फाल्सीपैरम को खत्म कर देता है। यह पौधा आमतौर पर चीन में पाया जाता है। वहां से इसे भारत लाकर नई-नई प्रजाति तैयार की जा रही है। इस पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट (सीमैप) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों ने प्रयोग किए हैं।
सीमैप के वैज्ञानिकों ने आर्टिमिसिया की नई प्रजाति सीआईएम-संजीवनी में आर्टीमिसिनिन तत्व 1.2 फीसदी अधिक पाया। इस प्रजाति में मस्तिष्क ज्वर के साथ कैंसर सहित अन्य बीमारियों में प्रयोग होने वाली दवा बनाने वाले तत्व भी अधिक हैं। इससे खाने की गोली व इंजेक्शन तैयार किए जाते हैं। जर्नल ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट साइंसेज में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि सीआईएम-संजीवनी किसानों और खेती से जुड़े उद्योग के लिए भी फायदेमंद है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस पौधे से दवा बनाने वाली कंपनी करीब 20 फीसदी लागत घटा सकती हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आर्टिमिसिया की खेती से किसानों को लगभग चार माह की अवधि में प्रति हेक्टेयर करीब 65 हजार का फायदा मिल सकता है। यही वजह है कि इस पौधे को लेकर भारतीय कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराने के लिए आगे आ रही हैं। सप्ताहभर पहले सीमैप के साथ चेन्नई की कंपनी सत्तव वैद नेचर्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड ने अनुबंध किया है। कंपनी आर्टिमिसिया की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराएगी। साथ ही प्रसंस्करण से संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान देगी।
खेत में ही मिल जाएगी उपज की कीमत
सीमैप के निदेशक प्रबोध कुमार त्रिवेदी की मौजूदगी में एमओयू पर कंपनी के प्रतिनिधि सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासनिक अधिकारी नरेश कुमार और सत्तव वैद नेचर्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक श्रेनिक मोदी ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। कंपनी तैयार पौधों को किसान से लेकर दवा बनाने वाली कंपनियों तक पहुंचाएगी। इससे किसानों को उनकी उपज की कीमत खेत में ही मिल जाएगी। सीमैप के डॉ. मनोज ने बताया कि कई वर्षों के शोध के बाद नई प्रजाति विकसित की गई है। यह पहले से चल रही किस्म जीवन रक्षा और सीआईएम आरोग्य के बीच पॉली क्रास से विकसित किया गया है। सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) ने भी अपने शोध में इस पौधे को मलेरिया रोधी दवा के लिए उपयुक्त माना है।
औषधीय पौधे की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए नीति निर्धारण
आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने बताया कि औषधीय पौधे की प्रदेश में कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए नीति निर्धारित की जा रही है। इसका मसौदा तैयार कर आयुष मंत्रालय को भेजा गया है। इसमें आयुष के अलावा कृषि, वाह्य सहायतित विभाग सहित अन्य विभागों की टीम बनाई गई है।
मलेरिया खत्म करने की तैयारी
प्रदेश में 2027 तक मलेरिया खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। कई जिलों में पिछले साल से (एनुअल पैरासाइट इंसिडेंस) एपीआई की दर एक से नीचे मिली है। इस साल जून तक 26 लाख 77 हजार से अधिक सैंपल की जांच की गई, जिसमें 1077 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
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