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अस्पताल में बच्चों के आधार कार्ड बनाने की तैयारी शुरू
नोएडा: अस्पतालों में बच्चों के आधार कार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इस सुविधा से जुड़े आधिकारिक कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए शासन ने आवेदन मांगे हैं. ताकि प्रशिक्षित कर यह काम शुरू किया जा सके. सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों में भी यह व्यवस्था शुरू की जाएगी.आधार कार्ड बनवाने के लिए बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र दिखाना होगा. साथ ही मां-पिता के प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे. वहीं, पांच साल की उम्र के बाद आधार कार्ड पर बच्चे का फोटो लगाया जाएगा. आधार कार्ड बनाने की सुविधा पहले सरकारी अस्पतालों में शुरू होगी. इसके बाद बड़े निजी अस्पतालों में भी पांच साल से कम उम्र के बच्चों के बच्चों का आधार कार्ड बन सकेगा. सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल से छुट्टी होने से पहले ही जारी किए जा रहे हैं. यह सुविधा एक महीने से मिल रही है. निजी अस्पतालों में जन्मे बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र सेक्टर-39 स्थित स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय से बन रहा है. अपर शोध अधिकारी केके भास्कर ने बताया कि जिले से करीब 15 लोगों को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. साथ ही इससे संबंधित काम के लिए परीक्षा भी ली जाएगी. ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को इससे संबंधित सभी पहलू स्पष्ट हो. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये दूसरों को प्रशिक्षित करेंगे.सभी बच्चों के आधार कार्ड बनाने लक्ष्य : जिले में एक साल में करीब 50 हजार बच्चे जन्म लेते हैं. इन बच्चों का पांच साल से पहले ही आधार कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है. अस्पतालों के साथ ही घर में जन्मे बच्चों को भी यह सुविधा मिलेगी. वहीं ज्यादातर स्कूल दाखिले के समय जन्म प्रमाण पत्र के साथ ही आधार कार्ड भी मांगते हैं.
अभिभावक बच्चों के सही नाम दर्ज कराएं: जन्म पंजीकरण कार्यालय ने जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के दौरान बच्चों का सही नाम दर्ज कराने की अपील अभिभावकों से की है. अपर शोध अधिकारी केके भास्कर ने बताया कि नियमानुसार प्रमाणपत्र बनने के बाद नाम में परिवर्तन नहीं हो सकता, बल्कि सिर्फ त्रुटियों को ठीक किया जा सकता है. जन्म प्रमाणपत्र में नाम परिवर्तन कराने के लिए कई लोग कार्यालय में आते हैं. ऐसे में लोगों को प्रमाणपत्र में नाम दर्ज कराते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
जन्म से दो साल के अंदर का प्रमाणपत्र जरूरी: नियमों के अनुसार कई खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए खिलाड़ियों का जन्मप्रमाण पत्र जन्म से दो साल के अंदर बना होना जरूरी है. निर्धारित समय का जन्म प्रमाण नहीं होने की स्थिति में खिलाड़ियों को मेडिकल जांच करवानी पड़ती है. आयु से संबंधित धोखाधड़ी के कई मामले आने के कारण इस तरह की व्यवस्था खेल संघों को करनी पड़ी है.