- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- शहीदों की आत्मा की...

x
बड़ी खबर
लखनऊ। पितृपक्ष रविवार, आशिवन मास की कृष्प पक्ष की प्रतिपदा से शुरू हो गए। यह पक्ष पितरों के प्रति अपने श्रद्धा दर्शानें का होता है। लोगों ने अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध किया और तर्पण किया। लोग डालीगंज स्थित लल्लूमल घाट और कुड़िया घाट पर तर्पण करते दिखे। इसके अलावा अपने घरों में लोगों ने तिल, जौ से तर्पण किया। इन्दिरा नगर सेक्टर-नौ स्थित गायत्री ज्ञान मंदिर में सामूहिक पिण्ड तर्पण प्रारम्भ हुआ। मंदिर के कर्ताधर्ता उमानंद शर्मा ने बताया किया आश्विन की प्रतिपदा को पांच बजे से देव आवाहन, देवपूजन के बाद पिण्ड तर्पण हुआ। पिण्ड तर्पण के उपरान्त गायत्री यज्ञ में लोक कल्याण के लिए गायत्री मंत्र, नवग्रह मंत्र, महामृत्युजंय मंत्रों एवं पूर्वजों की एवं विश्व में करोना से मृतक आत्माओं व शहीदों की आत्मा की शांति के लिए आहूतियां दी गई।
तर्पण करने वालों में जितेन्द्र सिंह, डॉ. राजेन्द्र तिवारी, विजय वर्मा, डॉ. राधे श्याम तिवारी, सुभाष सिंह, उ.प्र. शासन के वरिष्ठ अधिकारी आर.के.उदयन, क्षेत्र के श्री शिशिर दीक्षित, कमला सक्सेना सहित क्षेत्र के इत्यादि लोगों ने भाग लिया। केन्द्र प्रभारी उमानंद शर्मा ने पिण्ड दान एवं तर्पण कराया गया सम्पन्न कराया गया। उपरोक्त कार्यक्रम सम्पन्न कराने में सावित्री शर्मा, कमला सक्सेना, शिवम, रामकुमार, ऋषभ, श्री पी.एस. यादव एवं श्री जितेन्द्र सिंह का सहयोग रहा। श्री शर्मा ने बताया कि तर्पण के सभागार में अखिल भारतीय गायत्री परिवार के संस्थापक व युग ऋषि के रचित धर्म एवं अध्यात्म, वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ जीवन मृत्यु एवं आत्मा पर आधारित साहित्य जैसे-मैं क्या हूँ?, गहना कर्माेगति, मरने के बाद हमारा क्या होता, पितरोें को श्रद्धा दें वे शक्ति देंगे, पितर हमारे अदृश्य सहायक, मरणोत्तर जीवन उसकी सच्चाई, जीवन एवं मृत्यु, भूत कैसे होते हैं क्या करते हैं?, स्वर्ग-नर्क की स्वचालित प्रक्रिया, मरे तो सही बुद्धिमता के साथ, जल्दी मरने की उतावली न करें उपरोक्त पुस्तकें सभागार में अवलोकन के लिए प्रदर्शित रहेंगी। पुस्तकों को क्रय करके लिया भी जा सकता है। श्री शर्मा ने बताया ऋषियों द्वारा वर्णित साहित्य में उल्लेख है कि पितरों को श्रद्धा दे वे शक्ति देंगे। यह अवसर पूर्वजों को श्रद्धा देने तथा उनसे आशीर्वाद पाने का अवसर है। इसमें अनिवार्य रूप से भागीदारी करना चाहिये। श्री शर्मा ने बताया कि पिण्ड तर्पण में पुरूष-महिला व कोई भी जाति का व्यक्ति भाग ले सकता है। इसके लिए एक दिन पूर्व पंजीयन करना अनिवार्य होगा। तर्पण 25 सितम्बर तक प्रतिदिन चलेगा।
Next Story