- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- Prayagraj: नगर निगम...
Prayagraj: नगर निगम दस्तावेजों को संरक्षित करने के लिए डेटा बैंक बनाएगा
प्रयागराज: नगर निगम दस्तावेजों को संरक्षित करने के लिए डेटा बैंक बनाएगा. इसको लेकर पहले से प्रक्रिया चल रही है. नगर निगम संबंधित दस्तावेज डिजिटल संरक्षित रहेंगे. संपत्ति से लेकर नगर निगम की सभी पत्रावलियां सुरक्षित होंगी. पिछले पांच सालों का जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र का ब्योरा भी नगर निगम संरक्षित करेगा. इसकी फीडिंग का काम नगर निगम कराएगा, ताकि सत्यापन में लोगों को परेशानी नहीं हो.
नगर निगम में वर्तमान में जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के सत्यापन को लेकर बड़ी कठिनाई आ रही है. 2016 से 2020 तक बनाए गए प्रमाण पत्रों का सत्यापन मुश्किल हो रहा है. इसको लेकर नगर निगम अब 2016 से 2020 तक का जो दस्तावेज सुरक्षित बचा है इसकी फीडिंग कराएगा. ताकि भविष्य में लोगों को सत्यापन के लिए भटकना नहीं पड़े. 2016 से 2020 के बीच ई-नगर सेवा पोर्टल पर जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनता था. लेकिन यह 2020 में बंद हो गया और केंद्रीय पोर्टल सीआरएस चालू हो गया. अब लोगों के जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र सत्यापित नहीं हो पा रहे हैं. नगर निगम में इसका रिकार्ड अब कुछ ही बचा है. बचे हुए रिकार्ड को संरक्षित करने के लिए नगर निगम ने कवायद शुरू कर दी है. जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र का रिकार्ड डिटिजली संरक्षित किया जाएगा ताकि सत्यापन आसानी से हो सके. ई-सेवा नगर पोर्टल बंद होने के बाद क्यूआर कोड से इसका सत्यापन नहीं हो पाता है. नगर निगम से पांच सालों में लाखों की संख्या में प्रमाण पत्र जारी हुए हैं. नगर निगम में औसत 300 से 250 के बीच जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लोग आवेदन करते हैं.
ऑनलाइन डेटा भी संरक्षित रहेगा: नगर निगम करोड़ों रुपये डेटा सेंटर पर भी खर्च कर रहा है. ई-आफिस के तहत पत्रावलियां ऑनलाइन हो चुकी हैं. संपत्ति, टैक्स, स्वास्थ्य, नियुक्ति, जलकर विभाग समेत अन्य का ब्योरा भी ऑनलाइन होगा. 15 लाख से अधिक की आबादी को सहूलियत मिलेगी. डेटा सेंटर बनने से रिकार्ड संरक्षित रहेगा.
इस तरह से आ रही दिक्कत: 2016 से 2020 के बीच नगर निगम से बने जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने वाले आवेदकों के समक्ष नौकरी लगने के बाद जन्म प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. सत्यापन के लिए क्यूआर कोड स्कैन किया जाता है, लेकिन वह वेबसाइट पर नहीं दिखाई देता है. नगर निगम में इस तरह के मामले रोजाना आ रहे हैं. इसी तरह मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर भी परेशानी आ रही है. बैंकिंग सेक्टर या अन्य संस्थाएं नगर निगम से जारी प्रमाण पत्र को सत्यापित करती हैं तो उसमें ब्योरा नहीं आता है. नगर निगम के पास भी पुराने रिकार्ड कम बचे हैं. यही कारण है कि अधिकांश संस्थाएं नगर निगम से बने प्रमाण पत्र को फर्जी बता रही हैं.
सत्यापन को लेकर भटक रहे लोग: भाजपा के पूर्व पार्षद वीरेंद्र सिंह ने बताया कि नगर निगम की बड़ी लापरवाही है कि पुराने रिकार्ड संरक्षित नहीं रखे गए. जो रिकार्ड बचा है उसको सुरक्षित रखा जाए. रोजाना बड़ी संख्या में लोग नगर निगम से 2016 से 2020 के बीच बनवाए गए जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन कराने के लिए आ रहे हैं. मेरे पास भी कई मामले आए हैं, जिनके दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं. निगम में बचे शेष दस्तावेजों की फीडिंग होनी चाहिए ताकि लोग परेशानी से बच सकें.
डेटा सेंटर को लेकर कार्य चल रहा है. इसके बारे में और विस्तृत जानकारी आईटी से ली जाएगी. ई-आफिस के माध्यम से पत्रावलियां ऑनलाइन भेजी जा रही हैं.
विनोद कुमार, नगर आयुक्त.
साल 2016 से 2020 के बीच में बने जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र का ब्योरा नगर निगम संरक्षित करेगा. ई-सेवा नगर पोर्टल बंद हो गया है. जो रिकार्ड नगर निगम के पास बचा है उसकी फीडिंग कराई जाएगी. पहले लोकवाणी से भी प्रमाण पत्र जारी किए जाते थे.
राकेश यादव, अपर नगर आयुक्त.