उत्तर प्रदेश

Prayagraj: हाईकोर्ट का श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर आदेश आया

Admindelhi1
17 Oct 2024 7:56 AM GMT
Prayagraj: हाईकोर्ट का श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर आदेश आया
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा

प्रयागराज: मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल सभी वादों की एक साथ सुनवाई करने के 11 जनवरी 24 के आदेश को वापस लेने की मांग में दाखिल अर्जी पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित कर लिया है।

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने बुधवार को शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की अर्जी पर सुनवाई की। इस दौरान मस्जिद पक्ष ने तर्क दिया कि सभी 15 वादों के अनुतोष भिन्न भिन्न व असमान है। इसलिए इन्हें एक साथ सुनना सही नहीं होगा। सबमें वाद विंदुओं के अनुसार अलग अलग सुनवाई की जानी चाहिए। और रिकॉल आवेदन को स्वीकार करने की कोर्ट से प्रार्थना की।

कोर्ट ने श्रीकृष्ण भूमि व शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल किए गए सभी 15 वादों को एक साथ सुनने के आदेश दिया था। इसके बाद, वादों की पोषणीयता पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद पक्ष की आपत्ति खारिज कर दी थी और वाद विंदु तय करने के लिए पक्ष रखने का आदेश दिया था।

मस्जिद पक्ष की ओर से तस्नीम अहमदी व महमूद प्राचा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दलील दी। कहा अलग-अलग मांग के साथ दाखिल वादों की एक साथ सुनवाई नहीं हो सकती। सभी वादों को संयुक्त करने का आदेश पोषणीय नहीं है, क्योंकि सभी पक्षकारों से सहमति नहीं ली गई है। उन्होंने कोर्ट से सभी मुकदमों को एक साथ सुने जाने के आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की।

वहीं मंदिर पक्ष की ओर से इसका विरोध किया गया। कहा गया कि अदालत को एक ही मुद्दे को लेकर दाखिल वादों की एक साथ सुनवाई करने का अधिकार है। दो या अधिक वादों को एकीकृत कर सुनवाई करने का विवेकाधिकार है। सभी वाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थल से अवैध कब्जा हटाकर कटरा केशव देव को कब्जा सौंपने के संबंधित है।

मंदिर पक्ष की तरफ से विष्णु शंकर जैन, रीना एन सिंह आदि ने पक्ष रखा। अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दलील दी कि रिकॉल प्रार्थना मामले को उलझाने के लिए दाखिल किया गया है। सभी विवादों का एकत्रीकरण कर तत्काल वाद बिंदु तय कर सुनवाई करने की प्रार्थना की गई। वहीं आशुतोष पांडेय ने दलील दी कि मुस्लिम पक्ष चाहता है कि वाद बिंदु न तय हो पाए और केस की सुनवाई टली रहे। इसीलिए तरह-तरह के आवेदन दाखिल किए जा रहे हैं।

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