उत्तर प्रदेश

Prayagraj: सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुम्भ में बारह वर्ष बाद हठयोगियों का दर्शन मिलेगा

Admindelhi1
19 Dec 2024 4:47 AM GMT
Prayagraj: सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुम्भ में बारह वर्ष बाद हठयोगियों का दर्शन मिलेगा
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महाकुंभ में होगें हठयोगियों के दर्शन

प्रयागराज: संगम की रेती पर विश्व में सनातन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुम्भ में बारह वर्ष बाद हठयोगियों का दर्शन मिलेगा। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले हठयोगी माघ मास की कड़ाके ठंड में तपस्या करने के लिए आ रहें हैं। यह जानकारी बुधवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने दी।

उन्होंने बताया कि ईश्वर प्राप्ति के लिए संत परम्परा में तीन मार्ग है। ज्ञान योग, हठयोग एवं अध्यात्म योग है। जिसको जिसमें आनंद आता है वह उसी मार्ग को चुनकर आजीवन तपस्या करता है। संत परम्परा में सभी अखाड़ों में इश्वर को प्राप्त करने वाले सभी विधियों के संत है। उदाहरण देते हुए बताया कि महाकुंभ में एक ऐसे संत आ रहे जो कड़ाके की ठंड में 108 घड़े से ठंडे पानी से स्नान करेंगे। उनके भक्त एक घड़े में गंगा जल डालेंगे जो नीचे से एक छिद्र बना होगा,उसी छिद्र के नीचे बैठकर वह संत स्नान करेंगे।

एक संत ऐसे आएंगे जो बीते 25 वर्ष से दोनों पैर नहीं मोड़ा और खड़े होकर ईश्वर की प्राप्ति के लिए तपस्या कर रहे हैं। वह शम्भू पुरी महाराज है,इसी योग की वजह से उनके दोनों गांठों का आपरेशन भी हो चुका है। फिर भी वह स्वस्थ होने के बाद पुनः अपनी साधना में लग गए। इसी तरह मध्य प्रदेश के उर्दू बाहू महाराज है, वह लगभग 15 वर्ष से अपना दाहिना हाथ खड़े किए हुए हैं। उनका दाहिना हाथ सूख गया है। हठयोग एक कठिन तपस्या है। ऐसे लोग बहुत ही कम साधना करने वाले संत मिलते हैं। सभी विधायकों में सबसे कठोर तपस्या है,इसे हर कोई नहीं पूरा कर सकता है।

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