उत्तर प्रदेश

Prayagraj : भरण-पोषण भत्ता दो या डीएनए टेस्ट कराओ, पिता ने कोर्ट में कहा था, यह बच्चे उसके नही

Tara Tandi
4 Jun 2024 1:14 PM GMT
Prayagraj : भरण-पोषण भत्ता दो या डीएनए टेस्ट कराओ, पिता ने कोर्ट में कहा था, यह बच्चे उसके नही
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Prayagraj प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्चों को गुजारा भत्ता देने से इन्कार करने वाले पिता को आदेश दिया कि वह या तो गुजारा भत्ता दे या डीएनए जांच कराए। कोर्ट ने कहा कि पितृत्व संबंधी विवाद के कारण भरण पोषण से इन्कार करना बच्चों के मूल अधिकार का उल्लंघन है। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की कोर्ट ने यह आदेश सचिन अग्रवाल की ओर दायर किए गए मामले में दिया।
मामले में पुलिस स्टेशन वृंदावन, मथुरा निवासी महिला ने गुजारा भत्ता के लिए फैमिली कोर्ट में वाद दायर किया था। इस दौरान कोर्ट में आवेदक ने एक आवेदन दायर कर कहा कि बच्चे उसके नहीं हैं। इसलिए वह गुजारा भत्ता देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। इस पर महिला के अनुरोध पर माता-पिता का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण की मांग की गई। ट्रायल कोर्ट ने तीन नवंबर 2021 बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए डीएनए जांच कराने का आदेश दिया।
इस आदेश के विरोध में आवेदक ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया।

याची अधिवक्ता ने दलील दी कि महिला कानूनी रूप से उसकी पत्नी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी अदालत आवेदक को उसकी सहमति के बिना डीएनए परीक्षण कराने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। इसलिए डीएनए परीक्षण का आदेश पूरी तरह से कानून के विपरीत है। महिला के अधिवक्ता ने दलील दी कि आवेदक महिला के बच्चों का जैविक पिता है और सिर्फ गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए कह रहा है कि बच्चे उसकी संतान नहीं हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि सच्चाई को उजागर करने के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग करना चाहिए। न्याय पालिका का यह मूल कर्तव्य है कि वह सबसे सटीक और विश्वसनीय तरीकों का उपयोग करके सच्चाई का पता लगाए और न्याय करे। आगे कहा कि भरण-पोषण का अधिकार केवल कानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि मौलिक मानवाधिकारों में निहित है। ऐसे में अनसुलझे पितृत्व मुद्दों के कारण भरण-पोषण से इनकार करना उनके बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने आवेदक को आदेश दिया कि या तो डीएनए जांच कराएं या गुजारा भत्ता दें।
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