उत्तर प्रदेश

Prayagraj: नृत्य, ढोल और उत्साह, हाथ में गदा और तलवार, आकर्षण का केंद्र बने नागा साधु, स्नान के दौरान मस्ती

Renuka Sahu
3 Feb 2025 7:16 AM GMT
Prayagraj: नृत्य, ढोल और उत्साह, हाथ में गदा और तलवार, आकर्षण का केंद्र बने नागा साधु, स्नान के दौरान मस्ती
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Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान में नागा साधुओं का अद्भुत प्रदर्शन श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना। त्रिवेणी घाट पर इन साधुओं की पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अमृत स्नान के लिए ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे इन नागा साधुओं का अनुशासन और उनका पारंपरिक शस्त्र कौशल देखने लायक रहा। कभी डमरू बजाते दिखे, तो कभी भाले और तलवारें लहराते हुए दिखे, इन साधुओं ने युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन भी किया। लाठियां भांजते और अठखेलियां करते हुए ये साधु अपनी परंपरा और जोश का प्रदर्शन करते नजर आए।
वसंत पंचमी के अमृत स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में कुछ नागा साधु घोड़ों पर सवार होकर निकले तो वहीं कुछ पैदल चलते हुए दिखे। इस दौरान अपनी विशिष्ट वेशभूषा और आभूषणों से सजे हुए नजर आए। जटाओं में फूल, फूलों की मालाएं और त्रिशूल हवा में लहराते हुए उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता को और भी बढ़ा दिया।अनुशासन में रहने वाले इन साधुओं को कोई रोक नहीं सकता था। लेकिन अखाड़ों के शीर्ष पदाधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए नजर आए। नगाड़ों की गूंज के बीच उनके जोश ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। त्रिशूल और डमरू के साथ उनके प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति और मनुष्य के मिलन का उत्सव भी है।
शोभायात्रा के दौरानआम श्रद्धालुओं के मोबाइल के कैमरे भी नागा साधुओं को कैप्चर करते दिखे। नागा भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे, बल्कि वो अपने हाव भाव से उन्हें आमंत्रित कर रहे थे। कुछ नागा तो आंखों में काला चश्मा लगाकर आम लोगों से इंटरैक्ट भी कर पा रहे थे।
संगम में स्नान के दौरान भी नागा साधुओं का अंदाज निराला था। त्रिवेणी संगम में उन्होंने पूरे जोश के साथ एंट्री की और पवित्र जल के साथ अठखेलियां कीं। इस दौरान सभी नागा आपस में मस्ती करते नजर आए।पुरुष नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा संन्यासियों की भी बड़ी संख्या में मौजूदगी भी रही। पुरुष नागाओं की तरह ही महिला नागा संन्यासी भी उसी ढंग से तप और योग में लीन रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना होता है कि ये गेरुआ वस्त्र धारत करती हैं उसमें भी ये बिना सिलाया वस्त्र धारण करती हैं।
उन्हें भी परिवार से अलग होना पड़ता है। सभी नियमों का पालन करना होता है।श्रद्धालुओं, साधु-संतों और महामंडलेश्वरों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई और स्नान के बाद दान-पुण्य किया। महाकुंभ का डिजिटल स्वरूप आकर्षण का केंद्र बना है, श्रद्धालु इस दिव्य अनुभूति को अपने कैमरों में कैद करने को उत्साहित दिखे। संगम तट पर श्रद्धालुओं ने संतों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया, जिससे माहौल और भव्य बन गया।
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