उत्तर प्रदेश

Pratapgarh: ओडिशा और आंध्रप्रदेश के रास्ते गांजे की तस्करी में दो तस्कर गिरफ्तार

Admindelhi1
26 Nov 2024 8:58 AM GMT
Pratapgarh: ओडिशा और आंध्रप्रदेश के रास्ते गांजे की तस्करी में दो तस्कर गिरफ्तार
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नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस की कई टीमें गठित

प्रतापगढ़: ओडिशा से गांजा लाकर दिल्ली-एनसीआर में उसकी आपूर्ति करने वाले दो तस्करों को सेक्टर-24 थाने की पुलिस ने को गिरफ्तार किया था. गिरफ्त में आए आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पता चला कि तस्करों ने आंध्र प्रदेश और ओडिशा से लेकर दिल्ली तक तस्करी के लिए पूरा कॉरिडोर बनाया हुआ है. इन्हीं रास्तों से होकर गांजे की खेप दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचती है. पूरे गिरोह और उसके नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस की कई टीमें गठित की गई हैं.

जनपद में हर साल करोड़ों रुपये के गांजे की तस्करी होती है. नोएडा व एनसीआर में कई गैंग दूसरे प्रदेश के गैंग से जुड़े हुए हैं. नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह पर काम करने वाले पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में जितने गांजे की तस्करी होती है उसका नब्बे फीसद हिस्सा ओडिशा और आंध्रप्रदेश से आता है. इन राज्यों के कई इलाकों में इस तस्करी में केवल गैंग नहीं, पूरे गांव के लोग शामिल होते हैं.

इन क्षेत्रों में उगाए जाने वाले गांजे को खपाने के लिए तस्करों ने एक कॉरिडोर बना रखा है. यह कॉरिडोर आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार होते हुए उत्तर प्रदेश व दिल्ली तक पहुंचता है. तस्कर पुलिस से बचने के लिए अपने हिसाब से गंतव्य तक पहुंचने के लिए सड़क का इस्तेमाल करते हैं. उड़ीसा के सीमावर्ती इलाके के मलकानगिरी की पहाड़ी के आसपास गांजे की खेती होती है. इस पहाड़ी से उड़ीसा, छत्तीसगढ़ व आंध्रप्रदेश की सीमा मिलती है. यहीं से गांजे की बड़ी तस्करी होती है. नोएडा तक पहुचंने वाली अधिकतर गांजे की खेप सड़क मार्ग से आगरा एक्सप्रेस वे के रास्ते आती है.नोएडा व ग्रेटर नोएडा इलाके में खोखे, रेहड़ी पटरियों पर गांजे की बिक्री की शिकायत मिलती है.

ऐसे शहर में पहुंच रहा गांजा गांजे की तस्करी को लेकर कई स्तर पर काम किया जाता है. सबसे पहले गांजे की खेती आंध्र उड़ीसा की पहाड़ियों पर की जाती है. पहाड़ी से नीचे गांव तक गांजा लाने व सुखा कर रखने को लेकर कुछ लोग काम करते हैं.

इसके बाद तस्कर या बिचौलिए से संपर्क कर उनकी गाड़ी मंगाई जाती है. इस गाड़ी के चालक को गांव से कई किलोमीटर दूर उतार दिया जाता है और गांव के लोग खुद उस गाड़ी को लेकर गांव आते हैं और गांजे भरकर चालक को वापस करते हैं. फिर वहां से ड्रग्स कॉरिडोर बनाकर, कई वाहनों व रास्तों को बदलकर एनसीआर तक पहुंचाया जाता है.

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