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Pratapgarh: दस वर्षों में यमुना और हिंडन के किनारे बन गए कई मकान
प्रतापगढ़: डूब क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में तेजी से अतिक्रमण हुआ. हिंडन की तलहटी तक मकान बन गए तो यमुना के डूब क्षेत्र में फार्म हाउस तैयार हो गए. इसके बावजूद इन दोनों स्थानों पर डेढ़ वर्ष से अवैध निर्माण पर बड़े स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद से विभागों के अधिकारी फिर सवालों के घेरे में आ गए हैं.
यमुना और हिंडन के डूब क्षेत्र में अलग-अलग तरह का निर्माण हो रहा है. हिंडन किनारे किसानों की खेती के अलावा कॉलोनी भी काटी जा रही हैं. यहां भूमाफिया 50 से लेकर 0 गज तक के भूखंड काट आम लोगों को गुमराह कर भूखंड बेच रहे हैं. यहां करीब 10 हजार परिवार रह रहे हैं या रहने की तैयारी में हैं. वहीं, यमुना के डूब क्षेत्र में फार्म हाउस के लिए जमीन बेची जा रही है. यहां करीब पांच हजार फार्म हाउस बन चुके हैं.
मामला कोर्ट में होने का तर्क प्राधिकरण के अधिकारी न्यायालय में मामला होने का तर्क देकर यमुना डूब क्षेत्र में बने फार्म हाउस पर कार्रवाई नहीं कर रहे. हिंडन क्षेत्र में भी लगातार निर्माण हो रहा है. इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
चेयरमैन के पत्र के बाद भी लापरवाही प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन रमारमण ने चार मार्च 13 को जिला प्रशासन को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि दोनों नदियों के किनारे करीब 34 गांवों की 4500 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा हो रहा है. 15 में प्रस्ताव पारित कर हिंडन और यमुना के किनारे को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित करने की योजना थी. 17 के बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया.
निबंधन विभाग में जानकारी लेने के लिए पहुंचे लोग: न्यायालय का आदेश आने के बाद नोएडा के निबंधन विभाग में रजिस्ट्री खुलने की जानकारी लेने के बारे में काफी संख्या में लोग और वकील सबरजिस्ट्रार और एआईजी के पास पहुंचे. अधिकारियों का कहना है कि डीएम के आदेश पर ही एनओसी लेने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. ऐसे में नए सिरे से डीएम के आदेश पर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
न्यायालय के आदेश के बाद जिलाधिकारी के किसी प्रकार के आदेश आने का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए. अगर कोई संपत्ति की रजिस्ट्री सबरजिस्ट्रार के समक्ष आती है और रजिस्ट्री नहीं करते हैं तो कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी. -एनके शर्मा, एडवोकेट
जिला प्रशासन ने गलत नियमों के तहत अप्रत्यक्ष रूप से रजिस्ट्री पर रोक लगाई हुई थी. काफी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनको मजबूरी में अपनी कृषि की जमीन बेचनी पड़ती है. अब ऐसे लोगों को राहत मिलेगी. -सचिन रघुवंशी, एडवोकेट