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- पीपीपी मॉडल से बढ़ेगी...
लखनऊ न्यूज़: केन्द्रीय बजट-2023 में कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए 'पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप' पीपीपी माडल को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो कपास राज्य में जायद की फसल है. पीपीपी माडल के चलते अब कपास का कारोबार करने वाली कंपनियां यूपी के किसानों को कपास की खेती बढ़ाने के लिए मदद कर सकती हैं.
इसकी बोवाई अप्रैल के पहले हफ्ते से लेकर मई के अंत तक की जाती है. चूंकि राज्य सरकार ने बीटी कॉटन की खेती पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसलिए उत्तर प्रदेश में कपास की खेती अन्य कपास उत्पादक राज्यों के मुकाबले काफी कम है.
प्रदेश के 18 मण्डलों में से महज अलीगढ़ और आगरा मण्डल में कपास की खेती होती है.
उत्तर प्रदेश में कभी पांच लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुआ करती थी जो कि अब घटकर महज 14 हजार हेक्टेयर रह गयी है. उत्तर प्रदेश में पांच लाख रुई गांठ की खपत हर साल होती है, ऐसे में केन्द्रीय बजट में पीपीपी माडल के तहत कपास की खेती को प्रोत्साहित करने के मंसूबे से उत्तर प्रदेश में कपास की खेती कर रहे या करने के इच्छुक किसानों का मनोबल बढ़ेगा.