उत्तर प्रदेश

पोस्टमार्टम से पुलिस की बर्बरता का खुलासा: बलवंत के शरीर पर 40 चोट के निशान, 500 से ज्यादा लाठियां मारीं

Admin4
21 Dec 2022 12:12 PM GMT
पोस्टमार्टम से पुलिस की बर्बरता का खुलासा: बलवंत के शरीर पर 40 चोट के निशान, 500 से ज्यादा लाठियां मारीं
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कानपुर। कानपुर देहात में कस्टडी में मारे गए बलवंत के साथ पुलिस ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी। डॉक्टरों के मुताबिक, बलवंत के पेट को छोड़कर शरीर का कोई ऐसा अंग नहीं बचा जहां उसे चोट न आई हो। बलवंत के शरीर पर 40 से ज्यादा चोट के निशान हैं। कानपुर देहात में व्यापारी चंद्रभान सिंह से हुई लूट व थाने में उनके भतीजे बलवंत सिंह की मौत के मामले में पुलिस की बर्बरता सामने आई है। पुलिस ने कस्टडी में उसकी जमकर पिटाई की है, साथ ही, जगह-जगह नीले और काले निशान पड़े मिले हैं और उसके हाथ, पैर, पीठ, थाई और पैर के तलवों पर 500 से ज्यादा लाठियां मारी गईं। इतनी पिटाई के बाद जगह-जगह से उसकी नसें फट गईं। शरीर में कई जगह ब्लड क्लॉट होने की वजह से वह कोमा में चला गया। इसके बाद मल्टी आर्गन फेल्योर की वजह से उसकी मौत हो गई। इसका खुलासा आज सामने आई बलवंत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुआ है।
बताया जा रहा है कि कलाई को रस्सियों से बांधा गया था। दर्द की छटपटाहट की वजह से हाथ छुड़ाने की कोशिश में कलाई की मसल्स डैमेज हो गई। पूरे शरीर में 31 गंभीर चोटों के निशान हैं, बाकी आठ से दस छोटी-छोटी चोटें हैं। जिन्हें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मे मेंशन नहीं किया गया है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, बलवंत को बुरी तरह पीटा गया है। अमूमन पुलिस जब थर्ड डिग्री देती है, तो कमर के पिछले हिस्से पर ही वार करती है। लेकिन इस केस में ऐसा लगता है कि जैसे पीटने वाले किसी इंटेशन से बलवंत को पीट रहे थे। पीटने वाले इतने बर्बर थे कि वह यह देख ही नहीं रहे थे कि बलवंत को चोट कहां लग रही है। सिर, छाती, हाथ, पैर मत्थे शरीर का ऐसा कोई अंग नहीं बचा जहां चोट न आई हो।रिपोर्ट में बलवंत के सिर में भी चोट के निशान सामने आए हैं। सिर की कोई हड्‌डी नहीं टूटी है न ही ब्लीडिंग के निशान हैं, लेकिन सिर में गंभीर चोट आई है। इसी तरह बाएं हाथ की हथेली पर भी गंभीर रूप से चोट के निशान हैं। साथ ही हथेली से लेकर कुहनी तक पर चोट ही चोट है। कूल्हे के अगल बगल भी चोट के निशान बलवंत के शरीर पर दिखाई दे रहे हैं। हालांकि पूरे शरीर में कहीं भी फ्रैक्चर नहीं पाया गया है।
डाक्टरों के मुताबिक बुरी तरह पिटाई की वजह से बलवंत की नसें कई जगह से फट गई थीं। जिससे शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग होने लगी। इसके बाद शरीर में जगह-जगह ब्लड क्लॉट होने लगा। जिससे वह कोमा में चला गया। इसके बाद हार्ट तक ब्लड सप्लाई रुक गई। इसके बाद मल्टी आर्गन फेल्योर होने लगा। धीरे-धीरे किडनी और फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया और बलवंत की मौत हो गई।
बताते चलें कि 12 दिसंबर को पुलिस कस्टडी में मारे गए बलवंत के परिजनों के विरोध के बाद पुलिस ने दावा किया था कि उसके सीने में दर्द की शिकायत थी। जिसके बाद उसे हॉस्पिटल ले जाया गया था। अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि पुलिस का दावा झूठा था। दरअसल, हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी।
डॉक्टरों ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट इतनी मजबूत है कि आरोपियों के छूटने का कोई चांस बनता नहीं दिख रहा है। इस मामले में अगर परिवार कुछ भी न बोले तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आरोपी पुलिस वालों की पोल खोलने के लिए काफी है। जिस तरह से बलवंत के शरीर पर चोटों के निशान पाए गए हैं। उससे साफ है कि यह एक ब्रूटल मर्डर है।
बलवंत हत्याकांड में अब तक पांच आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जिसमें घटना में शामिल मुख्य आरोपी तत्कालीन शिवली थाना प्रभारी राजेश सिंह, एसओजी प्रभारी प्रशांत गौतम,मुख्य आरक्षी एसओजी, सोनू यादव, मुख्य आरक्षी एसओजी, दुर्वेश कुमार, मुख्य आरक्षी एसओजी, अनूप कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभी इस मामले में चार आरोपियों की तलाश है। जिसमें मैथा चौकी इंचार्ज, एसआई, ज्ञान प्रकाश, एसआई शिवली, संपत सिंह, हेड कॉन्स्टेबल, थाना शिवली, विनोद कुमार, एसओजी आरक्षी, जय कुमार शामिल हैं।
कानपुर देहात के शिवली थाने के सरैया गांव में 6 दिसंबर को चंद्रभान सिंह नाम के कारोबारी से लूट हुई थी। वह दुकान बंद करके लौट रहे थे, तभी पीछे से आए एक बाइक सवार बदमाशों ने ढाई लाख रुपए का सामान लूट लिया था। पुलिस इसी मामले की जांच कर रही थी।
इसी बीच केस की जांच के संबंध में पुलिस ने 12 दिसंबर सोमवार को 5 अलग-अलग लोगों को उठाया। उन्हीं में से एक चंद्रभान का भतीजा बलवंत भी था। चंद्रभान का आरोप है कि मेरे साथ हुई लूट का फर्जी खुलासा करने के लिए पुलिस ने बलवंत को उठाया था।
परिजनों का आरोप है कि बलवंत को रनियां थाने में आरोपी पुलिस वालों ने इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। हम लोग जब थाने पहुंचे तो हमें बताया भी नहीं। हमें एक थाने से दूसरे थाने दौड़ाते रहे। सुबह जब हमें पता चला कि बलवंत का शव पोस्टमॉर्टम हाउस ले गए हैं तब हम वहां पहुंचे। वहां हम पोस्टमॉर्टम हाउस से शव को लेकर भाग खड़े हुए। तब पता चला कि उसको इतना पीटा गया था।
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