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लखनऊ के डिजिटल मास्टर प्लान में पॉलीटेक्निक चौराहा गायब
लखनऊ: लखनऊ के डिजिटल मास्टर प्लान 31 में बड़े पैमाने पर खामियां मिली हैं. जीआईएस आधारित मास्टर प्लान बनाने के बाद जांच में खुलासा हुआ है कि इसमें तमाम महत्वपूर्ण चीजें छूट गई हैं. कई कॉलोनियों को पार्क दर्शाया गया तो कुछ पार्क कॉलोनी बता दिए गए हैं. सड़कों की चौड़ाई भी कम होने समेत 9 से ज्यादा खामियां पकड़ी गई हैं.
लखनऊ का मास्टर प्लान वर्ष 16 में तैयार हुआ था. तीन वर्ष पहले इसे डिजिटल, जीआईएस आधारित बनाने की कवायद शुरू हुई. कहा गया था कि इसके बनने के बाद लोग घर बैठे लैंड यूज पता करने के साथ ग्रीन बेल्ट, पार्क, कृषि एरिया, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, ट्रांसपोर्ट नगर, मेट्रो, रेलवे स्टेशन समेत शहर के प्रमुख स्थानों के बारे में जान सकेंगे. मगर जीआईएस आधारित मास्टर प्लान सुविधा के बजाय संकट बढ़ाने वाला हो सकता है.
पार्कों पर बन जाएंगे मकान: डिजिटल मास्टर प्लान में शहर के कई पार्कों की स्थिति बदल गई है. कुछ को आवासीय कॉलोनी दिखाया गया है. इससे भू माफिया इन पार्कों को आवासीय जमीन दिखाकर बेच सकते हैं. इनकी जमीन पर मकान बनाने में अड़चन नहीं होगी, क्योंकि प्लान के अनुसार आवासीय जमीन देखकर एलडीए अनुमति दे देगा. इसी तरह तमाम सड़कों की चौड़ाई भी कम करने से भविष्य में इनपर कब्जे की भी आशंका है. कुछ आवासीय क्षेत्र को सड़क दिखाया गया है.
कठौता झील को बना दिया टैंक: मास्टर प्लान में पॉलीटेक्निक चौराहा को नोटिफाई ही नहीं किया गया है. इसी तरह विकल्पखंड कठौता झील को मास्टर प्लान में टैंक बताया गया है. हालांकि, इसमें कोई खेल किया गया है या यह भूलवश हुआ है, यह जांच के बाद ही पता चलेगा.