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
केसीआर ने जब अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति से भारत राष्ट्र समिति किया था, उन्होंने तभी इशारा कर दिया था कि अब उनकी नजर राष्ट्रीय राजनीति पर है। वे दक्षिण के साथ-साथ उत्तर भारत के राज्यों में भी अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश करेंगे। उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय दलित नेता के रूप में उभर रहे चंद्रशेखर रावण से केसीआर की बेटी के. कविता की मुलाकात के बाद ये चर्चा तेज हो गई है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीआरएस चंद्रशेखर रावण के सहारे यूपी में अपनी पैठ बनाना चाहती है। चंद्रशेखर रावण बीआरएस के बैनर तले लोकसभा चुनाव में ताल ठोंक सकते हैं। यदि ऐसा होता है कि तो यूपी, विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, बसपा और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में मायावती को दलित वोटरों का सबसे बड़ा दावेदार माना जाता है। भाजपा ने भी दलित केंद्रित योजनाओं के सहारे दलितों, महादलितों में अपनी अच्छी पैठ बनाई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस एक बार फिर देश के इस सबसे बड़े राज्य में अपनी पैठ बनाने के लिए काम कर रही है। इसके लिए वह अपने पारंपरिक मतदाताओं (दलित, पिछड़ा और ब्राह्मण) को एकजुट करने की कोशिश कर रही है तो चर्चा है कि वह बसपा को अपने साथ लेकर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है जिससे भाजपा को कड़ी टक्कर दी जा सके।
चंद्रशेखर रावण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलित समुदाय के युवकों के बीच नए आइकॉन बनकर उभरे हैं। उनकी भीम आर्मी के बड़ी संख्या में समर्थक दलित युवा प्रदेश की दलित राजनीतिक को नए मुकाम पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। दलित मतदाताओं की बहुलता वाले क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर रावण के उभरने से बसपा, कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को भी नुकसान हो सकता है। पिछले चुनावों में चंद्रशेखर रावण कोई बड़ी सफलता हासिल करने में असफल रहे हैं, लेकिन यदि उन्हें बीआरएस जैसी मजबूत पार्टी का समर्थन मिलता है तो उनका प्रभाव बढ़ सकता है।
तेलंगाना विधानसभा चुनाव पर भी नजर
दरअसल, तेलंगाना में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां बीआरएस का मुकाबला कांग्रेस से हो रहा है जो मजबूत ताकत से सत्ता की दावेदारी कर रही है। इन चुनावों में चंद्रशेखर रावण बीआरएस की ओर से प्रचार भी करेंगे जिससे दलित मतदाताओं की बीच उसको लाभ मिल सकता है।
के. कविता ने क्या कहा?
केसीआर की बेटी और तेलंगाना में लोकप्रिय के. कविता की चंद्रशेखर रावण से हैदराबाद में मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद के. कविता ने चंद्रशेखर को बड़ा नेता बताया और कहा कि अब बीआरएस उनके सहारे यूपी में भी दलित केंद्रित राजनीति को आगे बढ़ाएगी। रावण पर पिछले दिनों हुए हमले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अब उन्हें किसी से डरने की आवश्यकता नहीं है। वे उनके साथ हैं। दोनों नेताओं ने मिलकर अंबेडकर की विचारधारा की राजनीति को यूपी में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। इसके बाद से ही चर्चा की जा रही है कि चंद्रशेखर रावण इस बार केसीआर के साथ तालमेल कर चुनावी मैदान में कूद सकते हैं।
बीआरएस को क्या लाभ?
राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने कहा कि केसीआर कांग्रेस के बिना अन्य दलों के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे थे। इसके संदर्भ में उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी। उनकी यह कोशिश सफल नहीं हो पाई। इस समय वे इंडिया गठबंधन से बाहर हैं। भाजपा के साथ उनकी दुश्मनी पहले से ही जाहिर है।
ऐसे में वे पहले अपनी पार्टी का कद बढ़ाकर उसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा दिलाना चाहते हैं जिससे राष्ट्रीय राजनीति में उनकी आवाज को ज्यादा प्रमुखता के साथ सुना जा सके। चंद्रशेखर रावण इस संदर्भ में बीआरएस की मदद कर सकते हैं। लेकिन रावण उनके लिए कितने उपयोगी साबित हो सकते हैं, यह लोकसभा चुनावों के बाद ही पता चल पाएगा। मायावती और भाजपा के रहते दलित मतदाताओं में पैठ बनाना आसान नहीं होगा। फिलहाल, इस दौरान बीआरएस की कोशिश चंद्रशेखर रावण के सहारे तेलंगाना विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर सकती है।
