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माफिया का छद्म नाम सामने आने के बाद हैरान रह गई पुलिस, दर्ज हुआ केस
गोरखपुर न्यूज़: माफिया अजीत शाही के खिलाफ जैसे-जैसे शिकंजा कसता जा रहा है उसका रहस्य भी सामने आता जा रहा है. पता चला है कि अजीत शाही अपनी माफियागिरी जिस नाम से करता है उस नाम से सम्पत्ति या अन्य काम नहीं करता. शराफत की जिदंगी के लिए उसने अपना नाम अजीत वीर विक्रम सिंह रखा है. माफिया की दोहरी जिंदगी उजागर होने के बाद उसके खिलाफ गीडा थाने में जालसाजी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया गया है.
चौकी इंचार्ज पिपरौली आलोक राय ने गीडा थाने में दिए तहरीर में बताया कि अजीत शाही जो कि कैंट थाने का हिस्ट्रीशीटर है. वह एक दुर्दांत व शातिर अपराधी है. किस्त पर बकाया गाड़ियों को गुंडई व दबंगई से वाहन स्वामियों से गाड़ियां खिंचवा कर अपने बरवार स्थित यार्ड में खड़ी करवाता है. उसके भय का यह आलम है कि कोई भी उसके खिलाफ कुछ बोलने को राजी नहीं होता है. अजीत ने अपराध के दम पर अकूत सम्पत्ति जमा कर रखी है. अजीत ने अपराध से अर्जित काली कमाई को सफेद में बदलने के लिए प्रशासन को धोखा देने की नीतय से कूटरचित दस्तावेज से अपने मूल गांव के पते, गोरखपुर आवास का पता व लखनऊ में कई अन्य पता दिखाकर भिन्न-भिन्न नामों से अलग-अलग आईडी बनाया है. वर्तमान में जिस केस में वह जेल में है उसमें भी अजीत के नाम से ही सभी प्रक्रिया हुई है. अजीत द्वारा पुलिस-प्रशासन या फिर कोर्ट को यह नहीं बताया गया कि उसका नाम अजीत वीर विक्रम सिंह भी है.
अजीत अपने व्यावसायिक, प्रापर्टी का काम या फिर जहां भी काली कमाई को सफेद में बदलने का काम हो उसे अजीत वीर विक्रम सिंह के नाम से करता है. पुलिस के मुताबिक वोटर कार्ड पर अजीत पिता का नाम राम जी जबकि आधार पर नाम अजीत वीर विक्रम सिंह और पिता का नाम रामजी सिंह पता लखनऊ का है.