- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- प्रयागराज में बदमाशों...
प्रयागराज न्यूज़: प्रयागराज कमिश्नरेट में शुक्रवार को हुई दुस्साहिक वारदात ने पुलिस के दावों और इंतजामों की पोल खोल दी। बदमाशों से मोर्चा लेने में सुस्ती का नतीजा कई बड़ी वारदातों के रूप में उभर कर आया है। आपको जानकर हैरत होगी कि प्रदेश के सभी आठ जोन में बीते छह वर्ष के दौरान प्रयागराज में सबसे कम मुठभेड़ हुई। इतना ही नहीं, कमिश्नरेट बनने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। नवगठित तीन कमिश्नरेट में पुलिस मुठभेड़ के मामले में प्रयागराज फिसड्डी साबित हुआ।
पुलिस विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2017 से 2022 के दरम्यान प्रयागराज जोन में मात्र 332 पुलिस मुठभेड़ हुई। जबकि मेरठ में 3110, आगरा में 1804, बरेली में 1468, वाराणसी में 676, लखनऊ में 491, कानपुर मे 414, गोरखपुर में 384 पुलिस मुठभेड़ हुईं। इसी तरह तीन माह पूर्व गठित तीन कमिश्नरेट में से प्रयागराज में मात्र 112 पुलिस मु़ठभेड़ हुई। वहीं गाजियाबाद में 410 और आगरा में 307 मुठभेड़ हो चुकी हैं। इसका असर अपराधियों पर बरती जाने वाली सख्ती पर भी नजर आया।
अपराधियों की गिरफ्तारी के मामले में भी प्रयागराज जोन और कमिश्नरेट फिसड्डी साबित हुआ है। शनिवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाकेमें राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल केअलावा एक गनर की मौत भी हो गयी। बीते छह वर्ष के कानपुर के बिकरू कांड में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद आगरा और प्रयागराज में दो-दो पुलिसकर्मियों को अपना कर्तव्य निभाते हुए जान गंवानी पड़ी है। तीनों नए कमिश्नरेट में पुलिस मुठभेड़ के दौरान गाजियाबाद में 99, आगरा में 28 पुलिसकर्मी घायल हुए जबकि प्रयागराज में सात घायल हुए।
पुलिस अफसरों पर लगे दाग: प्रयागराज जोन में पुलिस अफसरों पर बीते छह वर्ष के दौरान तमाम दाग लगे। महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार का मामला लंबे अर्से तक सुर्खियों में रहा तो प्रयागराज के एसएसपी बनाए गये अभिषेक दीक्षित पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार करने के मामले की विभागीय जांच करायी गयी। प्रतापगढ़ में पुलिस अधिकारियों का काम कर पाना मुश्किल होता गया। प्रयागराज में कई लोगों की हत्या के मामले समाने आए। वकीलों और छात्राें केसाथ पुलिस को कई बार संघर्ष करना पड़ा। पिछले वर्ष हुए अटाला कांड ने कानून-व्यवस्था और खुफिया की तैयारियों को तार-तार कर दिया