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मेरठ: मैरिज ब्यूरो के नाम पर ठगी करने के मामले में मेडिकल थाने के एक दारोगा ने खेल कर दिया। पीड़ित पक्ष की सुनने के बजाय आरोपी पक्ष से मिलकर न केवल धाराएं हटा दी बल्कि आरोपियों में एक मृतक का नाम भी डाल दिया। सीओ ने दारोगा से जांच लेकर दूसरे दारोगा को सौंप दी
लेकिन विवादित दारोगा ने जांच संबंधित दारोगा को नहीं दी। पीड़ित पुलिस अधिकारियों के चक्कर काट रहा है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई। मंगलवार को पीड़ित ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की है।
सोमदत्त विहार निवासी सुनीता देवी पत्नी शशी कुमार तोमर ने प्रभा पुत्री चमन लाल, हेमलता पत्नी चमनलाल, चमनलाल पुत्र अज्ञात, गुडडी पत्नी टेकराम, सचिन पुत्र टेकराम, दीपू पुत्र टेकराम निवासी ए-79, तक्षशिला कालोनी थाना मेडिकल जिला मेरठ के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 323, 452, 504, 1506, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
मेडिकल थाने में दर्ज मुकदमे में कहा गया कि आरोपियों ने फर्जी तरीके से बेटे यादवेन्द्र की शादी करा दी थी। लड़की वालों की तरफ से गुड्डी पत्नी चमन लाल थी। इन लोगों ने यादवेन्द्र की शादी एक दलित लड़की से करा दी और आर्यसमाज मंदिर ने जब कागजात मांगे तो गुड्डी की तरफ से नहीं दिये गए। जब वर पक्ष के लोगों ने आपत्ति की तो गुड्डी ने कहा कि अब तो शादी हो गई है अगर समझौता चाहते हो तो पचास लाख देना पड़ेंगे।
सुनीता देवी ने मेडिकल थाने में तहरीर दी लेकिन पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। बाद में कोर्ट के आदेश से मुकदमा दर्ज हुआ। बस यहीं से पुलिस ने खेल शुरु कर दिया। मेडिकल थाने में इस मामले की विवेचना में दारोगा यतेन्द्र गोस्वामी ने कार्यवाहक थाना प्रभारी के समय में मुकदमे से मुख्य आरोपी गुड्डी और चमन लाल का नाम निकाल दिया। पुलिस ने टेकराम का नाम मुकदमे में शामिल कर दिया।
जबकि टेकराम की मौत चार साल पहले हो चुकी है। जब सुनीता देवी ने इसकी शिकायत सीओ सिविल लाइन से की तो विवेचना यतेन्द्र गोस्वामी से लेकर पवन कुमार को दी गई। पवन कुमार ने सही ढंग से विवेचना की और आरोपियों के नाम दोबारा डाल दिये।
पवन कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही होने के बाद जांच दारोगा अजय प्रताप को दी गई। वर्तमान समय में जांच फिर से दारोगा यतेन्द्र गोस्वामी के पास है जबकि सीओ सिविल लाइन के निर्देश हैं कि जांच किसी और दारोगा को दी जाए लेकिन यतेन्द्र गोस्वामी जांच देने को तैयार नहीं है। परेशान सुनीता देवी ने डीजीपी और मुख्यमंत्री को न्याय के लिये पत्र लिखा है।