उत्तर प्रदेश

पुलिस और साइबर टीम ने अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया

Admindelhi1
18 March 2024 5:33 AM GMT
पुलिस और साइबर टीम ने अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया
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पकड़े गए आरोपी पिछले चार महीने से सेक्टर- में फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे

नोएडा: सेक्टर-3 पुलिस और साइबर टीम ने अमेरिकी नागरिकों को तकनीकी मदद देने का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार किया. पकड़े गए आरोपी पिछले चार महीने से सेक्टर- में फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे. पुलिस ने आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल होने वाले कंम्प्यूटर, लैपटॉप और अन्य सामान बरामद किया.

डीसीपी नोएडा विद्यासागर मिश्र ने बताया कि सेक्टर-3 पुलिस और साइबर सेल की टीम को सूचना मिली कि सेक्टर- में फर्जी कॉल सेंटर खोलकर अमेरिकी नागरिकों से ठगी की जा रही है. इस पर पुलिस की टीम ने छापा मारकर आरोपियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्त में आए आरोपियों की पहचान प्रिंस, राम राठौर, वैभव अरोड़ा, तंसुल सोलंकी, अंकित पंत निवासी देहरादून, कौशिक सैन निवासी देहरादून, शिवम शर्मा भरत विहार दिल्ली, ध्रुव चोपड़ा निवासी दिल्ली, सारांश दुआ रोहिणी दिल्ली, नवजोत सिंह दिल्ली, विक्की निवासी विकास नगर देहरादून, मोहम्मद नादिर निवासी खालापार मुजफ्फरनगर, वैभव गौड़ प्रेम नगर देहरादून और सौरभ अवस्थी के रूप में हुई है. पुलिस ने आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल होने वाले 1 लैपटॉप, एक इंटरनेट राउटर, दो इंटरनेट नेटवर्क स्विच, चार वाहन और 17 हेडफोन बरामद किए. गिरफ्त में आए आरोपी ई-मेल ब्लॉस्टिंग के जरिए अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बनाते थे.

ऐसे रकम ऐंठते थे : डीसीपी ने बताया कि आरोपी बल्क में अमेरिकी नागरिकों को ई-मेल भेजते थे. ई-मेल पर जानकारी देते थे कि लैपटॉप और कम्प्यूटर में तकनीकी खराबी आ गई है. इसके साथ ही हेल्पलाइन के तौर पर अपना नंबर भी भेजते थे. लोग परेशान होकर उस नंबर पर कॉल करते थे. इसके बाद आरोपी आईबिम सॉफ्टवेयर के जरिए विदेशी कॉल को अपने सिस्टम पर लैंड करा लेते थे. इस दौरान कॉल को रिसीव करने वाला आरोपी खुद को विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि बताता था. इस दौरान आरोपी विदेशी नागरिकों से बातचीत करने के बाद उनके सिस्टम को जल्द दी सही कर देने का आश्वासन देते थे. इसके साथ ही आरोपी उनसे कहते कि आपका सिस्टम हैक हो गया है, जिसके बाद उनके सिस्टम का एक्सेस लेकर उनको कंप्यूटर और लैपटॉप के डाटा के साथ छेड़छाड़ करने का भय दिखाकर उनसे 0 से 500 डॉलर तक वसूल लेते थे.

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