उत्तर प्रदेश

पीएम मोदी का डायमंड चतुर्भुज का 9 साल पुराना वादा

Admin Delhi 1
13 Jun 2023 4:27 AM GMT
पीएम मोदी का डायमंड चतुर्भुज का 9 साल पुराना वादा
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लखनऊ: पीएम मोदी का नया भारत अब साल और तारीखों से जाना जाता है कि किस तारीख को उन्होंने कौनसा वादा किया था। साल था 2014, और तारीख थी 23 जनवरी। दिन सोमवार। तब भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ’8-9 साल बाद भारत की आजादी के 75 साल होंगे और डायमंड जुबली का समय आएगा। क्या ये समय की मांग नहीं है कि हम अटलजी की सोच को नया रूप देकर बुलेट ट्रेन का डायमंड चतुर्भुज तैयार करें? जब हम डायमंड जुबली मना रहे हों, तो देश में चारों दिशाओं में चलने वाली बुलेट ट्रेन का काम खत्म कर दें। इसके बाद दुनिया नए सिरे से हिंदुस्तान को देखने लगेगी।’

इस स्पीच के महज 4 महीने बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हैं । 2015 में उन्होंने अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। 14 सितंबर, 2017 को इस प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखी गई।

फिर आई एक और तारीख 24 अप्रैल,2023। गुजरात का आणंद शहर, यहां के उत्तरसंडा रेलवे स्टेशन से 600 मीटर दूर टेम्प्रेचर 42 डिग्री में एक स्ट्रक्चर तैयार हो रहा है। 100 से ज्यादा मजदूर और इंजीनियर काम में जुटे हैं।

यहां देश की पहली हाईस्पीड बुलेट ट्रेन का स्टेशन बन रहा है। गुजरात में साबरमती और अहमदाबाद के बाद ये तीसरा स्टेशन होगा। पहले इसका जिक्र इसलिए क्योंकि पूरे प्रोजेक्ट में यहीं सबसे ज्यादा यानी 55% काम हुआ है।

पहले बुलेट ट्रेन साल 2022 तक चलाए जाने का टारगेट था। फिर इसे बढ़ाकर 2023 किया गया और बीते मार्च में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अब 2026 तक इसके चालू होने की उम्मीद है। आखिर देश की पहली बुलेट कहां अटक गई, ये मोदी जी अब नहीं बताते।

508 किलोमीटर के रूट पर आने वाले 12 स्टेशनों और ट्रैक, टनल, ब्रिज हैं।

बुलेट ट्रेन के सभी स्टेशनों के लिए अलग-अलग थीम रखी गई है। जिस वजह से शहर की पहचान है, उसे ही स्टेशन की थीम बनाया गया है। जैसे अहमदाबाद का काइट फेस्टिवल दुनियाभर में मशहूर है, इसलिए इस स्टेशन की थीम पतंग रखी गई है।

1.08 लाख करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में भारत के पार्टनर जापान से मदद मिल रही है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, 2026 तक सूरत से बिलिमोरा के बीच पहली बुलेट ट्रेन चलाने का टारगेट रखा गया है। ऐसा होते ही भारत 15 देशों के एलीट क्लब में शामिल हो जाएगा, जिनके पास हाईस्पीड ट्रेन नेटवर्क है।

अब जानते हैं इस प्रोजेक्ट के 12 स्टेशनों में से कुछ की कार्य प्रगति कितनी है।

शुरुआत साबरमती से करते हैं गांधीजी से जुड़ाव, इसलिए स्टेशन की थीम चरखा रखा गया है।

यहां स्टेशन का काम महज 10-15% पूरा हुआ है। अभी बेस और पिलर्स का काम ही चल रहा है। हालांकि, स्टेशन के पास बन रहा मल्टी मॉडल हब लगभग 90% तैयार है। जापान की तर्ज पर बन रहे मल्टी मॉडल हब में पैसेंजर्स के लिए फाइव स्टार होटल, स्विमिंग पूल, वर्ल्ड क्लास रेस्टोरेंट और रिटेल स्टोर्स होंगे। इसे जून, 2023 में ही ऑपरेशनल करने का प्लान है। साबरमती से महात्मा गांधी का जुड़ाव रहा है, इसलिए इस स्टेशन की थीम चरखा रखी गई है।

दूसरा अहमदाबाद स्टेशन है। अभी तक सिर्फ 20% काम ही पूरा हो पाया। साबरमती स्टेशन से सिर्फ 7 किमी दूर अहमदाबाद स्टेशन है। इसे शहर के मेन रेलवे स्टेशन कालूपुर के प्लेटफॉर्म 11 और 12 की जगह पर बनाया जा रहा है। कंस्ट्रक्शन का काम इरकॉन-DRA इंफ्राकॉन (JV ) के पास है। तेज गर्मी के बावजूद मजदूर स्टेशन के ग्राउंड फ्लोर का काम कर रहे हैं। यहां पार्किंग एरिया रहेगा। कुछ पिलर्स भी आधे से ज्यादा बन चुके हैं।

प्रोजेक्ट के एक अधिकारी ने बताया कि यहां 20 से 25% काम हो चुका है। स्टेशन की थीम पतंग रखी गई है। अहमदाबाद मेट्रो और रेलवे जंक्शन (कालूपुर स्टेशन) को फुटओवर ब्रिज के जरिए इससे जोड़ा जाएगा।

फिर आता है आणंद/नडियाद: स्टेशन जिसकी पहली मंजिल तैयार है।सबसे तेज काम यहीं हो रहा है।

अहमदाबाद से मुंबई हाईवे पकड़कर ज़ब आप सूरत की ओर बढ़ेगे तो करीब एक घंटे का सफर करने के बाद 58 किमी दूर आणंद/नडियाद स्टेशन आएगा । आपको अहमदाबाद से आते हुए रास्ते में हाईस्पीड ट्रेन के पिलर्स नजर तो आएगे । उन पर गर्डर रखने का काम अभी बाकी है। उत्तरसंडा रेलवे स्टेशन से 600 मीटर दूर बने आणंद स्टेशन पर साबरमती और अहमदाबाद स्टेशन से दोगुना काम हो चुका।

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की एजीएम सुषमा गौर बताती हैं, 'इस स्टेशन के 425 मीटर लंबे कॉनकोर्स यानी एंट्रेंस वाले फ्लोर का काम पूरा हो चुका है। ये 34 मीटर चौड़ा है। इसमें नौ स्लैब हैं। पहले स्लैब का काम 12 सितंबर, 2022 को शुरू हुआ था और 12 अप्रैल, 2023 को पूरा हुआ है।’

दरअसल पूरे प्रोजेक्ट में इसी स्टेशन पर सबसे ज्यादा यानी करीब 55% काम हो चुका है। सेकेंड फ्लोर पर बने कॉनकोर्स पर टिकट मिलेगा। यहीं पैसेंजर्स के लिए वेटिंग रूम और हॉल होगा।

डायमंड सिटी सूरत के अत्रोली में हाई स्पीड ट्रेन का स्टेशन बन रहा है। भरूच से सूरत करीब 75 किमी दूर है।यहाँ कॉनकोर्स का आकार समझ आने लगा है। ये स्टेशन डायमंड की थीम पर बनाया जा रहा है। इसकी छत कांच की होगी, जिससे यात्रियों को स्काई व्यू मिलेगा।

स्टेशन पर 200 मीटर लंबा रेल स्लैब और 60 मीटर लंबा कॉनकोर्स स्लैब तैयार हो चुका है। इसकी ऊंचाई 26 मीटर है। ये बस और मेट्रो से कनेक्टेड होगा। यहां से BRTS स्टेशन 330 मीटर और प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन 280 मीटर, रेलवे स्टेशन 11 किमी और सिटी बस स्टैंड 10 किमी दूर है।

दरअसल बुलेट ट्रेन दो तरह की होंगी, रैपिड और एक्सप्रेस। साबरमती से मुंबई तक रैपिड ट्रेन के सिर्फ 4 स्टॉपेज होंगे। सूरत में दोनों तरह की बुलेट ट्रेनें रुकेंगी। स्टेशन के टॉप फ्लोर पर चार ट्रैक होंगे। फर्स्ट फ्लोर पर कॉनकोर्स एरिया, वेटिंग एरिया, बिजनेस लाउंज, रेस्ट रूम, नर्सरी, शॉप्स, किओस्क, टिकट काउंटर और कस्टमर केयर सेंटर होगा। ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग, पिकअप-ड्रॉप बेस, पेडेस्ट्रियन प्लाजा और सिक्योरिटी चेक पॉइंट्स के साथ लिफ्ट और एस्क्लेटर्स का काम चल रहा हैं। गुजरात का आखिरी और प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा स्टेशन वापी है।

वापी के डुंगरा में हाई स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा स्टेशन बन रहा है। इसकी लागत 600 करोड़ रुपए है। यहां 1200 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म होगा। ये गुजरात का आखिरी स्टेशन है

यहां से 18 किमी वलसाड जिले के जरोली गांव में 350 मीटर लंबी टनल बन रही है।

पहले फेज में ट्रेन को साबरमती से वापी तक दौड़ाने की तैयारी है। इसलिए यह रूट का पहला और आखिरी स्टेशन भी होगा। यहां ट्रेन की क्लीनिंग भी होगी, उसके लिए सकाफ़ी जगह भी चाहिए होगा। यहां जगह की उपलब्धता भी बहुत ज्यादा है।

महराष्ट्र में पड़ने वाला पहला स्टेशन है मान गांव में बन रहा बोईसर स्टेशन। ये गुजरात के आखिरी स्टेशन वापी से 96 किमी दूर है। गुजरात के मुकाबले महाराष्ट्र में न के बराबर काम हुआ है। यहां सिर्फ जमीन की मार्किंग की गई है।

NHSRCL का लगाया प्रस्तावित बुलेट ट्रेन स्टेशन का बोर्ड लगा है। कुछ इंजीनियर और वर्कर्स जमीन नाप रहे रहे थे। स्टेशन के पास एक स्कूल है, जिसे शिफ्ट किया जाना है। यहां के किसान मुआवजे की कम रकम से नाराज हैं। वे सरकार से गुजरात में मिले मुआवजे के बराबर कीमत मांग रहे हैं।

विरार से 52 किमी दूर ठाणे में भी स्टेशन का काम शुरू नहीं हुआ है। यहाँ एक खाली मैदान में दो बोर्ड लगे हैं । इसी जगह स्टेशन बनना है। एक बोर्ड पर लिखा है कि म्हातार्डी गांव की पंचायत स्टेशन का नाम ठाणे रखने का विरोध करती है।

यहां के लोग चाहते हैं कि स्टेशन का नाम उनके गांव के नाम म्हातार्डी पर किया जाए। अभी आसपास लोग भी रह रहे हैं, इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। उनके रहने के लिए घर NHSRCL बनाकर देगी।

आखिरी स्टेशन मुंबई का बकचोदी होगा। यहाँ काम शुरू होने में अभी और वक्त लगेगा, करीब 5 साल में शायद बन पाएगा।

ये हाई स्पीड ट्रेन के आखिरी स्टेशन मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) स्टेशन होगा। यहां भी सिर्फ बोर्ड लगा है। दो कंटेनरों में प्राइवेट ठेकेदारों के ऑफिस चल रहे हैं। स्टेशन की ऊंचाई 60 मीटर होगी, लेकिन ट्रैक अंडरग्राउंड होगा। ये स्टेशन हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और मैसर्स MEIL मिलकर बनाएंगी। उन्होंने 3,681 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। इसे बनने में 4 साल 6 महीने लगेंगे।

विरार से आगे शीलफाटा से मुंबई तक 21 किमी तक अंडरग्राउंड ट्रैक रहेगा। इसमें से 7 किमी ट्रैक समुद्र के अंदर होगा। स्टेशन की थीम अरब सागर की लहरों पर रखी गई है। इसमें तीन फ्लोर होंगे, जिसमें प्लेटफॉर्म, स्टेशन परिसर और सर्विस फ्लोर शामिल है। ये हैं पीएम मोदी के दिखाए सपनो की जमीनी हकीकत।

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