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पीएम आवास योजना: प्रशासन और नगरायुक्त ने की एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश
मेरठ: प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। यहां वाप्कोस कंपनी के पास पीएम आवास योजना का टेंडर है, लेकिन मेरठ में थर्ड पार्टी केडीएस जियो टैगिंग का काम कर रही थी। अब इसमें दो कंपनी इनवॉल है। अब बड़ा सवाल यह है कि दोनों कंपनियों के खिलाफ पीओ डूडा एफआईआर दर्ज कराते हैं या फिर एक कंपनी के खिलाफ। क्योंकि वर्किंग में केडीएस कंपनी के इंजीनियरों ने जियोटैगिंग की। टेंडर वाप्कोस कंपनी के पास था। इस तरह से पूरे प्रकरण को प्रशासनिक स्तर पर बेहद गंभीरता से लिया गया है, जिसमें कंपनी के खिलाफ एफआईआर कराने की सिफारिश कर दी गई है। अब देखना यह है कि इस फजीर्वाड़े में कंपनी के खिलाफ और क्या एक्शन प्रशासन लेता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शहरी आवास योजना ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट को लेकर मेरठ में भ्रष्टाचार की शिकायतें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची, जिसके बाद ही इस प्रकरण में सीएलटी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। उन्हें भी जांच अधिकारी ने जियो टैगिंग के मामले में दोषी माना हैं। सीएलटी के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद अब कंपनी निशाने पर आ गई है।
दरअसल, सूडा से वाप्कोस कंपनी को पीएम आवास योजना का कार्य करने का टेंडर मिला हुआ था, लेकिन वाप्कोस कंपनी ने थर्ड पार्टी केडीएस कंपनी को यह वर्क दे दिया था। पिछले चार वर्ष से केडीएस कंपनी ही आॅन रिकॉर्ड मेरठ में कार्य कर रही थी। इस पूरे प्रकरण की जांच डीएम दीपक मीणा ने नगर निगम से कराई थी, जिसमें ग्राउंड स्तर पर जियो टैगिंग के मामले में व्यापक अनियमितता मिली है। इसके बाद ही 47 मकानों का निर्माण गलत होना पाया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर नगरायुक्त अमित पाल शर्मा ने वाप्कोस और केडीएस कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति कर दी है। अब देखना यह है कि पीओ डूडा इसमें क्या कदम उठाते हैं? क्योंकि पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार को लेकर खासी किरकिरी हो रही है। इस किरकिरी से बचने के लिए ही सख्त कदम उठाये जा रहे हैं।
बता दें कि भाजपा के कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत शासन में की थी, जिसके बाद ही ये तमाम जांच पड़ताल चल रही हैं। वर्तमान में नगर निगम ने इसकी जांच तैयार कर रिपोर्ट डीएम को भेज दी हैं, जिसमें एफआईआर दर्ज कराने के लिए संस्तुति की गई हैं। प्रशासन की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया हैं। क्योंकि वाप्कोस और केडीएस कंपनी की गर्दन इस प्रकरण में पूरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही हैं।